जब मैंने इन विचारों को साझा किया, तो जैसे मेरी अव्यक्त भावनाएँ शब्दों में ढल गईं। यह एक असामान्य अनुभव था, जहाँ शब्द नहीं, बल्कि भावनाएँ बोल रही थीं।
कहानी
ईश्वर पर विश्वास |
कभी सूरदास ने एक स्वप्न देखा था कि रुक्मिणी और राधिका मिली हैं और एक दूजे पर न्योछावर हुई जा रही हैं। सोचता हूँ, कैसा […]
अपने स्वार्थों की प्रति जागरूक होना कोई कठिन काम नहीं है। सेवा , दया करुणा जैसे गुणों को कर्तव्य मार्ग पर जाने के लिए अभ्यास के साथ संस्कार भी महत्व रखते हैं। जीव सेवा परम है ।
जंगल हमारे लिए कितने अहम हैं ये बाद में मानव जाति समझ पाएगी । अभी वह झूठे अहम में फूल रहा है । जिस दिन विकास की गति रुकेगी ,
सब कुछ पा लेगा उस यह प्रकृति ही लुप्त हो जाएगी । आओ जंगलों को बचाएं । स्वार्थी लोगों पर अंकुश लगाएं।
ब्रह्मांड में सब कुछ अपनी सीमा में निहित है ।
मात्र एक जीव (मनुष्य) जो अपनी नियंत्रण रेखा से बाहर निकल गया है । सोचो और समझो
दुष्ट के साथ दुष्टता का ही व्यवहार किया जाना चाहिए। यह नीति कहती है। बुरे कर्मों का परिणाम सदा बुरा ही होता है। प्रकृति आपको जीना सिखाती है आपका लालन पालन करती और मानव ही आज उसके लिए दानव बन गया है । तो दानव तु इतना भी समर्थ नहीं की प्रकृति से जीत पाए वो तेरी मां है और मां को चुनौती देना अपने अंत को प्राप्त करना है। अहिंसा परमो धर्म:ll
1775 की दशक 6 मार्च इतिहासकार , इसकी उलेख में थोडा झलक है ….
सुख शांति और आनन्द रूपी हार क्षणिक सुखों के रूप में परछाई की तरह दिखाई देता है एक रानी […]
कभी सोचा है इस भागती दौड़ती जिंदगी का मकसद क्या है,, सिर्फ़ दो जून की रोटी , समय से रस्सा कसी है,या अपनी इच्छाओं और आवश्यकताओं […]
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गरमी का मौसम था, *मैने सोचा पहले गन्ने का रस पीकर काम पर जाता हूँ।* एक छोटे से गन्ने की रस की दुकान पर गया। […]