जितनी चीज़ें कृष्ण से छूटीं-उतनी किसी से नहीं छूटीं/बालक कन्हैया या महायोद्धा कृष्ण ?
कभी सूरदास ने एक स्वप्न देखा था कि रुक्मिणी और राधिका मिली हैं और एक दूजे पर न्योछावर हुई जा रही हैं। सोचता हूँ, कैसा होगा वह क्षण जब दोनों ठकुरानियाँ मिली होंगी। दोनों ने प्रेम किया था। एक ने बालक कन्हैया से, दूसरे ने राजनीतिज्ञ कृष्ण से।...
संकट में बाघ /जंगल
अपने स्वार्थों की प्रति जागरूक होना कोई कठिन काम नहीं है। सेवा , दया करुणा जैसे गुणों को कर्तव्य मार्ग पर जाने के लिए अभ्यास के साथ संस्कार भी महत्व रखते हैं। जीव सेवा परम है ।
स्वार्थ की अग्नि
जंगल हमारे लिए कितने अहम हैं ये बाद में मानव जाति समझ पाएगी । अभी वह झूठे अहम में फूल रहा है । जिस दिन विकास की गति रुकेगी ,
सब कुछ पा लेगा उस यह प्रकृति ही लुप्त हो जाएगी । आओ जंगलों को बचाएं । स्वार्थी लोगों पर अंकुश लगाएं।
वायनाड का ध्वस्त होता अहम
ब्रह्मांड में सब कुछ अपनी सीमा में निहित है ।
मात्र एक जीव (मनुष्य) जो अपनी नियंत्रण रेखा से बाहर निकल गया है । सोचो और समझो
साइलेंट वैली जस्टिस
दुष्ट के साथ दुष्टता का ही व्यवहार किया जाना चाहिए। यह नीति कहती है। बुरे कर्मों का परिणाम सदा बुरा ही होता है। प्रकृति आपको जीना सिखाती है आपका लालन पालन करती और मानव ही आज उसके लिए दानव बन गया है । तो दानव तु इतना भी समर्थ नहीं की प्रकृति से जीत पाए वो तेरी मां है और मां को चुनौती देना अपने अंत को प्राप्त करना है। अहिंसा परमो धर्म:ll
चुनौतियाँ हर दिन जीवन को नए आकार में ढालती हैं ,, वह आकार ही जीवन स्वरुप है .. STORY
मछुआरों की समस्या जापान में हमेशा से ही मछलियाँ खाना एक जरूरी हिस्सा रहा है,और...
क्यूँ है महत्वपूर्ण 6 मार्च ? जानिए
1775 की दशक 6 मार्च इतिहासकार , इसकी उलेख में थोडा झलक है ....
जब लक्ष्य भिन्न हो… तो कैसी प्रतिस्पर्धा 01 MARCH 2024
अनोखी साइकिल रेस अमर एक अन्तर्राष्ट्रीय कंपनी का ग्रुप लीडर था। काम करते-करते उसे...
वास्तविक जीवन की खोज JAY SADGURU DEV
सुख शांति और आनन्द रूपी हार क्षणिक सुखों के रूप में परछाई की तरह दिखाई देता है एक रानी नहाकर अपने महल की छत पर बाल सुखाने के लिए गई। उसके गले में एक हीरों का हार था, जिसे उतार कर वहीं...
प्रतिस्पर्धा/गति या दुर्गति एक लघु विश्लेषण Story Dntvindianews.com abhilasha bhardwaaj
कभी सोचा है इस भागती दौड़ती जिंदगी का मकसद क्या है,, सिर्फ़ दो जून की रोटी , समय से रस्सा कसी है,या अपनी इच्छाओं और आवश्यकताओं के सामने लाचारी और बेबसी है| कभी सोचा है इस भागती दौड़ती जिंदगी का मकसद क्या है,, सिर्फ़ दो जून की रोटी...
“प्रेम एक सफल यात्रा” Story अभिलाषा भारद्वाज
प्रेम एक सफल यात्रा 40 साल पहले इस आदमी ने बाइक खरीदने के लिए अपना सकुछ बेच दिया था । और भारत से स्वीडन तक 60,000 किलोमीटर की यात्रा अपने प्रेम को देखने के लिए की । —————————————- प्रेम पथ कभी सरल नहीं होता जैसे त्याग बिना आत्म...
15 फरवरी प्रसिद्ध स्वाधीनता सेनानी श्री बद्रीदत्त पांडेय का जन्म दिवस पर उनके पत्रकारिता का प्रभावशाली व्यक्तित्व पर एक नजर।
उत्तरांचल राज्य मुख्यतः दो पर्वतीय क्षेत्रों, गढ़वाल और कुमाऊं से मिल कर बना है। कुमाऊं को प्राचीन समय से कूर्मांचल कहा जाता है। यहां के प्रसिद्ध स्वाधीनता सेनानी श्री बद्रीदत्त पांडेय का जन्म 15 फरवरी, 1882 को हरिद्वार के प्रसिद्ध वैद्य श्री विनायक दत्त पांडेय के घर में...
दस रुपये का चढ़ावा। कहानी
गरमी का मौसम था, *मैने सोचा पहले गन्ने का रस पीकर काम पर जाता हूँ।* एक छोटे से गन्ने की रस की दुकान पर गया। वह काफी भीड-भाड का इलाका था, वहीं पर काफी छोटी-छोटी फूलो की, पूजा की सामग्री ऐसी और कुछ दुकानें थीं और सामने ही...