सम्मेलनों के माध्यम से पार्टी संगठन ने कार्यकर्ताओं को न केवल प्रोत्साहित किया, बल्कि उन्हें आगामी चुनावों के लिए तैयार रहने का संदेश भी दिया। पढ़े ख़बर
Himachal Pradesh
बजट सत्र के बाद हिमाचल प्रदेश की राजनीति में सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के बीच तीखी बयानबाजी |पढ़े ख़बर
बारिश अप्रत्याशित थी और व्यवस्थाएँ जल्दबाजी में की गईं। सरकार ने इस मामले की जाँच कराने की बात कही है | पढ़े ख़बर
हमारे त्यौहार हमारी अटूट संस्कृति का जीवंत स्तंभ हैं । इन्हीं के कारण हमारी आस्थाएं जिनको पोषण मिलता है । त्यौहारों के प्रति जागरूक होना हर एक हिंदू भारतीय का आस्तिक कर्तव्य है ।
सभी मासों में उत्तम और पवित्र मास श्रावण मास है, उसमें भी परम सौभाग्य प्राप्ति का हेतु यही है कि इस वर्ष श्रावण मास सोमवार को ही आरंभ हुआ था और सोमवार को ही विश्राम हो रहा है।
नारी आज का अति सोचनीय विषय है । आज के समय को देखते हुए नारी की अस्मिता तार तार हो रही है। जगह जगह नारी शोषण , अत्याचार , बलात्कार , घटनाएं देखने को मिल रही हैं। आखिर क्या हो गया है इस पंगु समाज की सोच को ।
कवि की कल्पना असीम है । काव्य भाव से कवि सूखे हुए दरख्तों में भी कल्पना कर उसे जीवंत बना देता है । ” जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि।
पर्यावरणीय प्रभाव से समस्त जन जीवन पीड़ित है । असंतुलन पैदा हो गया है। मानवीय कार्यों ने पूरे eco system को उस बिंदु पर खड़ा कर दिया है जहां से वापस लौटना खाई में गिरने जैसा है।
एक पुरानी कहावत है ” स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है”….
इस जीवन का एक मात्र सिद्धांत यही है। मनुष्य बार बार जन्म लेता है और फिर मृत्यु को प्राप्त होता है । जिस प्रकार समुद्र की लहरों का बनना एक लंबा सफर तय करना ,किनारों पर आकर शांत हो जाना । यही है जीवन रूप । अंत विराम
जब भी मन जोश से पूर्ण होता है,वह ऊंची ऊंची पर्वत श्रृंखला को भी जीत लेता है,मन को सदैव ऊर्जावान बनाए रखने का संकल्प अच्छे विचारों से सहमती है । ” मन के हारे हार है मन के जीते जीत “।
चंबा और मंडी में लगभग 40 से 42 ट्रांसफार्मर से बिजली बंद, पेयजल की समस्या बढ़ी |
मुहब्बत है तो दर्द भी है विछुड़ने के आसूं भी हैं ।
मुहब्बत दिलों की दर्द भरी दास्तां है
इसको बयां करना जैसे खुदा की इबादत हो ।
बायो खाद फसलों के लिए सर्वोत्तम है । रसायनों के कारण जीवन संकट में आ गया हैं ।
जंगल हमारे लिए कितने अहम हैं ये बाद में मानव जाति समझ पाएगी । अभी वह झूठे अहम में फूल रहा है । जिस दिन विकास की गति रुकेगी ,
सब कुछ पा लेगा उस यह प्रकृति ही लुप्त हो जाएगी । आओ जंगलों को बचाएं । स्वार्थी लोगों पर अंकुश लगाएं।