धैर्य एक बहुमूल्य और विलक्षण गुण कैसे ?
“धैर्य” हमारे संकटकाल का मित्र है। इसी से हमें सांत्वना मिलती है। कैसी भी हानि या क्षति हो जाए, धैर्य उसे भुलाने का प्रयत्न करता है। धैर्य न हो तो मानसिक दौर्बल्य के कारण मन सदा भयभीत रहेगा। जब मनुष्य के मन में शंका बढ़ जाती है, तब...
प्रार्थना का मोल।
एक वृद्ध महिला एक सब्जी की दुकान पर जाती है, उसके पास सब्जी खरीदने के पैसे नहीं होते है। वो दुकानदार से *प्रार्थना* करती है कि उसे सब्जी उधार दे दे पर दुकानदार मना कर देता है। उसके बार-बार आग्रह करने पर दुकानदार खीज कर कहता है, तुम्हारे...
आश्विन शुक्लपक्ष तृतीया २०८०-संजीवनी ज्ञानामृत | अपने सदगुणों को प्रकाशित होने दें|
एक पेचीदा प्रश्न पर कुछ विचार-विमर्श करें। कई व्यक्तियों में साधारण योग्यताएँ होते हुए भी उनकी कीर्ति बहुत विस्तृत होती है और कईयों में अधिक योग्यता होते हुए भी उन्हें कोई नहीं पूछता, कोई दुर्गुणी होते हुए भी श्रेष्ठ समझे जाते हैं, कोई सद्गुणी होते हुए भी बदनाम...
सामाजिक अपराधों ➖के लिए➖ हम भी परोक्ष रूप से जिम्मेदार |
वस्तुतः अपराधों का क्रम न्यायसंहिता की परिधि की पहुँच से बहुत पहले प्रारंभ होता है । जिन कार्यों के लिए दंड संहिता में कोई व्यवस्था नहीं है, वे ही अपराधों के उद्गम केंद्र हैं । *”आलस्य-प्रमाद”, “असंयम”, “अशिष्टता”, “उद्धत आचरण”, “द्वेष-दुर्भाव”, “कुदृष्टि-कुभाव”, “कटु-भाषण” “अस्त-व्यस्तता”, “नशा-पानी”, “अस्वच्छता”, “अनुशासनहीनता” जैसी...
१२ अक्टूबर २०२३ गुरुवार /आश्विन कृष्णपक्ष त्रयोदशी २०८०-विचार शक्ति को परिष्कृत कीजिए| संजीवनी ज्ञानामृत|
जो जैसा सोचता और करता है, वह वैसा ही बन जाता है। मनुष्य का विकास और भविष्य उसके विचारों पर निर्भर है। जैसा बीज होगा, वैसा ही पौधा उगेगा। जैसे विचार होंगे, वैसे कर्म बनेंगे और जैसे कर्म करेंगे, वैसी परिस्थितियां बन जाएँगी। इसीलिए तो कहा गया है...
सद्विचारों की सतत बहने वाली गंगोत्री।
“सद्विचारों” की महत्ता का अनुभव तो हम करते हैं, पर उन पर दृढ़ नहीं रह पाते। जब कोई अच्छी पुस्तक पढ़ते या सत्संग-प्रवचन सुनते हैं, तो इच्छा होती है कि इसी अच्छे मार्ग पर चलें, पर जैसे ही वह प्रसंग पलटा कि दूसरे प्रकार के पूर्व अभ्यासी विचार...
प्रतिकूलताओं में धैर्य रखें।
अनेक लोग एक छोटी-सी अप्रिय घटना या नगण्य सी हानि से व्यग्र हो उठते हैं और यहाँ तक व्याकुल हो उठते हैं कि जीवन का अंत ही कर देने की सोचने लगते हैं और यदि ऐसा नहीं भी करते हैं तो भविष्य की सारी आकांक्षाओं को छोड़कर एक...
श्रावण/कृष्णपक्ष चतुर्थी/पंचमी‼️संजीवनी ज्ञानामृत‼️ अपने सदगुणों को प्रकाश में लाइए।
“सद्गुणों” की मनुष्य में कभी नहीं है, जिसे बुरा या दुर्गुणी कहते हैं वह बेशक देव श्रेणी के सुसंस्कृत मनुष्यों से सात्विक गुणों में पीछे है तो भी यथार्थ में ऐसी बात नहीं है, वह बिलकुल बुरा ही हो। निष्पक्ष रीति से यदि उसकी मनःस्थिति का परीक्षण किया...
प्रथम श्रावण❗ कृष्णपक्ष प्रतिपदा २०८०/संजीवनी ज्ञानामृत‼️ प्रार्थना में अतुलनीय बल है|
मनुष्य कितना दीन-हीन, स्वल्प शक्ति वाला, कमजोर है । यह प्रतिदिन के जीवन से पता चलता है । उसे पग-पग पर परिस्थितियों के आश्रित होना पड़ता है । कितने ही समय तो ऐसे आते हैं, जब औरों से सहयोग न मिले तो उसकी मृत्यु तक हो सकती है...
जैन धर्मावलंबियों के द्वारा अष्टानिका महापर्व पर श्री नंदीश्वर महामंडल विधान का आयोजन।
आरा/बिहार। महाजन टोली नंबर दो स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर प्रांगण में अष्टानिका महापर्व के मौके पर श्री नंदीश्वर महामंडल विधान बड़े ही धूमधाम से संपन्न हो रहा है। नंदीश्वर महामंडल विधान को मंगल सानिध्य कर्नाटक राज्य के कनकगिरी जैन मठ से स्वस्ति श्री भुवनकीर्ति भट्टारक...
*🥀// ०२ जुलाई २०२३ रविवार //🥀**//आषाढ़ शुक्लपक्ष चतुर्दशी २०८०//‼️संजीवनी ज्ञानामृत‼️
सबके कल्याण के लिए प्रार्थना करें। प्रार्थना” व्यक्तिगत एवं सामुदायिक दोनों प्रकार से की जा सकती है । व्यक्तिगत प्रार्थना से हम केवल अपनी भलाई की भावनाएँ प्रकट करते हैं। अपने तक ही सब कुछ परिमित रखते हैं, यह दृष्टिकोण कुछ संकुचित सा है...
सकारात्मकता ।
दुःख में सुख खोज लेना, हानि में लाभ खोज लेना, प्रतिकूलताओं में भी अवसर खोज लेना इस सबको सकारात्मक दृष्टिकोण कहा जाता है। जीवन का ऐसा कोई बड़े से बड़ा दुःख नहीं जिससे सुख की परछाईयों को ना देखा जा सके। जिन्दगी की ऐसी कोई बाधा नहीं जिससे...
‼️आज का अमृत‼️ तीन गुरु
बहुत समय पहले की बात है, किसी नगर में एक बेहद प्रभावशाली स॔त रहते थे। उन के पास शिक्षा लेने हेतु कई शिष्य आते थे। एक दिन एक शिष्य ने स॔त से सवाल किया, *”स्वामीजी आपके गुरु कौन है? आपने किस गुरु से शिक्षा प्राप्त की है?”* संत...
*‼️आज का अमृत‼️*‼️भगवान में मन क्युं नहीं लगता‼️*
जैसे माया मन रमैं, यों जो रामरमाई। तारा मंडल वेधी के, जहां के सो तहां जाई। यह एक सामान्य सच्ची घटना है । किंतु हमारी सम्पूर्ण समस्याओ का मूल इसी में छिपा हुआ है । एक युवक अपनी समस्या के समाधान के लिए एक संत के पास गया...
*‼️🌿‼️आज का अमृत‼️🌿‼️*‼️ ⛳ ‼️ कृपादृष्टि ‼️ ⛳ ‼️*
किसी स्थान पर संतों की एक सभा चल रही थी, किसी ने एक घड़े में गंगाजल भरकर वहां रखवा दिया ताकि संतजन को जब प्यास लगे तो गंगाजल पी सकें।संतों की उस सभा के बाहर एक व्यक्ति खड़ा था, उसने गंगाजल से भरे घड़े को देखा तो उसे...