रामचरित मानस (हिन्दी का वैश्विक दूत)
(1) भारतीय मूल के आप्रवासियों की संस्कृतिक चेतना को रामचरित मानस अनुप्राणित कर रहा है। (2) जीवन में मूल्यों की प्रतिष्ठा की चाह में हर व्यक्ति तुलसी की रामकथा की ओर देखता है। (3) तुलसी के राम हर मानवीय सम्बंध में आचरण की असाधारण उच्चता प्रदर्शित करते है।...
विशेषता होगी, तभी पराए अपने बन जाएँगे और शत्रुओं को मित्र । DntvIndiaNews
सद्गुण” बढ़ाएं, “सुसंस्कृत” बनें मनुष्य के पास सबसे बड़ी पूजा सद्गुणों की है। जिसके पास जितने सद्गुण हैं, वह उतना ही बड़ा अमीर है। धन के बदले बाजार में हर चीज खरीदी जा सकती है। इसी प्रकार सद्गुणों की पूँजी से किसी भी दिशा में अभीष्ट प्रगति की...
श्रमशीलता” का सम्मान करें| माघ कृष्णपक्ष एकादशी 2082
यदि “श्रम” का सत्परिणाम सुनिश्चित न होता तो कोई क्यों श्रमशीलता का कष्टसाध्य मार्ग अपनाता ? कृषि, व्यापार, शिल्प, शिक्षा आदि में करोड़ों आदमी निरंतर पूर्ण तत्परता के साथ लगे रहते हैं और प्रतिफल भी उनको मिलता ही है। किसान खेत से ही तो गुजारा करते हैं, कारखानों...
गीता के 18 अध्याय संक्षिप्त में जाने / माघ कृष्णपक्ष नवमी 2080
भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया और इसी उपदेश को सुनकर अर्जुन को ज्ञान की प्राप्ति हुई। गीता का उपदेश मात्र अर्जुन के लिए नहीं था बल्कि ये समस्त जगत के लिए था, अगर कोई व्यक्ति गीता में दिए गए...
शुद्ध भक्ति /गलती और “गलत” में एक छोटा सा अंतर| Gyan Ganga में पढ़े कहानिया |
“गलती और “गलत” में एक छोटा सा अंतर होता है – नीयत का। समय बहरा है किसी की नहीं सुनता लेकिन वह अंधा नहीं है देखता सब है । जीवन में कुछ बनना है तो विनम्र रहना सीखना चाहिए जो सिर्फ और सिर्फ शुद्ध भक्ति से ही संभव...
GyanGanga: प्रेम है और धर्म है, राम आदि और राम ही अन्त हैं, कैसे पुकारू तोहे राम कहें या श्री राम, यही सवाल हृदय में है …
राम भारत के इष्ट हैं, आत्मा हैं, आदर्श हैं, पुरोधा हैं, संस्कृति के वाहक हैं। राम भारत के पिता हैं। राम निरीह में हैं, राम हमारे आसपास हैं, वह हर एक चीज राम है जिसमें गति है, प्राण है, सत्य है, संयम है, प्रेम है और धर्म है।...
दृष्टिकोण” मनुष्य के दृष्टिकोण का ही परिणाम| DntvIndiaNews
तरह हरा चश्मा चढ़ा लेने पर चारों और हरा ही हरा, लाल चढ़ा लेने पर लाल ही लाल दिखाई देता है, वैसे ही संसार की विभिन्नता मनुष्य के दृष्टिकोण का ही परिणाम है । एक पेड़ को बढ़ई इस दृष्टि से देखेगा कि इसमें से काम का सामान...
जो दूसरों के लिए सोचता है। परमात्मा स्वयं उसके लिए करतें है।
सत्संग कथा: एक माँ थी उसका एक बेटा था। माँ-बेटे बड़े गरीब थे। एक दिन माँ ने बेटे से कहा – बेटा !! यहाँ से बहुत दूर तपोवन में एक दिगम्बर मुनि पधारे हैं वे बड़े सिद्ध पुरुष हैं और महाज्ञानी हैं। तुम उनके पास जाओ और पूछो...
बाहर की सृष्टि कैसी,हमारी दृष्टि जैसी”/माघ कृष्णपक्ष प्रतिपदा 2080
संजीवनी ज्ञानामृत| भलाई, उत्कृष्टता, स्वच्छता आदि सब ईश्वर प्रकृति, नैतिक विधान की धरती पर मिलती हैं; वे अनादि हैं, स्थिर हैं, अनंत हैं। सृष्टि की रचना में कहीं भी गंदगी बुराई, अपवित्रता नहीं है। संसार के तत्त्व चितकों, दर्शनिकों हमारे ऋषियों ने यह सब अनुभव किया और कहा-...
राग द्वेष का मूल कारण है अविद्या। 26 गणतन्त्र दिवस (भारत)
इस संसार में अनादि काल से राग द्वेष चल रहा है, और आगे भी अनंत काल तक चलता रहेगा। राग द्वेष का मूल कारण है अविद्या। “जब आत्मा शरीर धारण कर लेता है अर्थात प्रकृति से संबद्ध हो जाता है, तो उसमें अविद्या उत्पन्न...
सद्विचारों की सतत बहने वाली गंगोत्री | पौषमाह शुक्लपक्ष पूर्णिमा 2080 /25 जनवरी 2024 गुरुवार|
संजीवनी ज्ञानामृत | “सद्विचारों” की महत्ता का अनुभव तो हम करते हैं, पर उन पर दृढ़ नहीं रह पाते। जब कोई अच्छी पुस्तक पढ़ते या सत्संग-प्रवचन सुनते हैं, तो इच्छा होती है कि इसी अच्छे मार्ग पर चलें, पर जैसे ही वह प्रसंग पलटा कि दूसरे प्रकार के...
सहायक सचिव, लॉयर्स एसोसिएशन सह-संयोजक, भाजपा, विधि प्रकोष्ठ डॉ. मन्टु कुमार की संदेश व शुभकामनाएं। 23-01
श्रीरामः शरणं समस्तजगतां रामं विना का गती, रामेण प्रतिहन्यते कलिमलं रामाय कार्यं नमः। रामात् त्रस्यति कालभीमभुजगो रामस्य सर्वं वशे, रामे भक्तिरखण्डिता भवतु मे राम! त्वमेवाश्रयः।। (स्कंदपुराण, उत्तरखण्ड, रामायण माहात्म्य – १/१) अर्थात् – श्रीरामचन्द्र समस्त संसार को शरण देनेवाले हैं, श्रीरामचंद्र के विना कौन सी गति है ?...
दृष्टिकोण” २३ जनवरी २०२४ मंगलवार/पौषमाह शुक्लपक्ष त्रयोदशी २०८०
दृष्टिकोण की विकृतियाँ हमें अकारण उलझनों में पटकती और खिन्न रहने के लिए विवश करती हैं। हम गरीब हैं या अमीर इसका निर्णय दूसरों के साथ तुलना करने में ही होता है । जब अपने को अमीरों की तुलना में तोला जाता है तो हल्के पड़ते हैं और...
अपना दृष्टिकोण सही रखिए।
दृष्टिकोण की विकृतियाँ हमें अकारण उलझनों में पटकती और खिन्न रहने के लिए विवश करती हैं। हम गरीब हैं या अमीर इसका निर्णय दूसरों के साथ तुलना करने में ही होता है। जब अपने को अमीरों की तुलना में तोला जाता है तो हल्के पड़ते हैं और गरीब...
आत्मविश्वास ⚜️ एक चमत्कारिक शक्ति ।
संजीवनी ज्ञानामृत। जब संसार में सभी साथी मनुष्य का साथ छोड़ दें, पराजय और पीड़ाओं के दंश मनुष्य को घायल कर दें, पैरों के नीचे से सभी आधार खिसक जायें, जीवन के अंधकारयुक्त बीहड़ पथ पर यात्री अकेला पड़ जाए तो भी क्या वह जीवित रह सकता है...