ब्रह्मविद्या विहंगम योग

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सद्गुरु सदाफल देव आश्रम,चना बक्सर में बैठक सह सत्संग संपन्न|

आश्रम के विकास व विहंगम योग के प्रचार प्रसार पर विचार विमर्श में कहा सभी गुरू भाई बहनों को मील जुलकर एक साथ गुरू सेवा कार्य में लगना पड़ेगा तभी संत समाज व आश्रम का विकास होगा जिसके फलस्वरूप सद्गुरु देव भगवान की कृपा भी हम सबको प्राप्त होता रहेगा। आगे उन्होंने कहा कि सबको प्रेम शांति से रहना चाहिए। स्ववेंद के दोहे को प्रस्तुत करते हुए कहा कि सद्गुरु सदाफल देव महाराज जी ने हम सभी के लिए कितना बड़ा संदेश दिया है |

दुःख से निवृत्त होने का उपाय वैराग्य है। सद्गुरु

संत और सत्संग का मिलन बड़े भाग्य से होता है। संसार में सुख परिकल्पना है ही नहीं बल्कि दुःख से निवृत्त होने का उपाय वैराग्य है। निष्काम भाव से किया गया कर्म ही विक्रम की श्रेणी में आता है इसके लिए सद्गुरु का मिलन आवश्यक है।

विहंगम योग का ज्ञान दुर्लभ है| सद्गुरु देव

लोभ- तृष्णा, अहंकार के खाई से सभी गुरू शिष्यो को निकलकर दान करना चाहिए। मन की चाल कुचाल है,जीव ही उबटन चलाए । इससे निवृत्ति का उपाय केवल सद्गुरु ही बतला सकते हैं।

ब्रह्म विद्या विहंगम योग संस्थान के तत्वावधान में स्ववेंद शोभा यात्रा|

आरा / भोजपुर | भव्य -दिव्य स्ववेंद यात्रा विहंगम योग संत समाज द्वारा निकला गया|

जब वर्तमान स्वामी जी ने शिष्य से जबरदस्ती स्वर्वेद का पाठ करवाया। DNtvIndiaNews

(कमलेश दत्त मिश्र) गया/बिहार| कहानी मधेपुरा के बिजेन्दर यादव जी मास्टर साहब के यहाँ का है।बिजेन्दर जी स्वामी जी के शिष्य है जिनके सम्बन्ध में […]

भजन करें! इसमें विलम्ब क्यों ब्रह्मविद्या विहंगम योग दर्शन–दिग्दर्शन| Darshan

माया का विस्तार स्थूल जगत् में तो है ही, परन्तु सूक्ष्म, झीनी माया सब घट में समाकर आत्मस्वरूप को ढाँपी हुई है । सबसे मोटी […]

प्रश्न(Question_ कर्म, अकर्म तथा विकर्म क्या है? जीवन्मुक्त योगी का कर्म किस प्रकार होता है?]

कर्म और अकर्म  का ज्ञान रहस्यपूर्ण योगियों का ज्ञान है। शुभाशुभ  दो प्रकार के कर्म होते हैं, जिनके फल कर्म के कर्ता को  अवश्य भोगने […]

नित्य अनादि सदगुरु श्री कबीर साहेब ने अपने प्रमुख ग्रन्थ बीजक के महत्वपूर्ण उपदेश | स्वर्वेद (Swarved)

नित्य अनादि सदगुरु श्री कबीर साहेब ने अपने प्रमुख ग्रन्थ बीजक में यह महत्वपूर्ण उपदेश दिया है, इस पृथ्वी के मानव मात्र को इन पर […]

महर्षि सद्गुरु सदाफल देव आश्रम सेमरांव आरा | DntvIndiaNews

आरा/भोजपुर | महर्षि सद्गुरु सदाफल देव आश्रम सेमरांव भोजपुर जिला संत समाज को  संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज के असीम कृपा से शताब्दी समारम्भ […]

संस्मरण-आदर्श शिष्या सुगरी देवी कौन थी ? जिनका नाम विहंगम योग इतिहास में अंकित है। अवश्य पढ़ें

परमाराध्य महर्षि सदाफल देव जी महाराज की आदर्श शिष्या सुगरी देवी थी। उसका बचपन का नाम चमेली था।  उसकी शादी ‘गया’ में एक ऐसे परिवार […]

अभ्यास में मन ठीक-ठीक नहीं लगता, इसका क्या कारण है?

सद्गुरु भगवान् का अमृत उपदेश:- मन बहुत दिनों से विषयों में लगा है तथा विषयों को भोगा है, विषय किया है। वह मन सहज में […]

“सुन्दर देहि देखकर उपजत हैं अनुराग”। “चाम न होता देही पर जीवित खाते काग”।।

कबीर परमात्मा इस वाणी में कहते हैं कि हे मानव तू इस सुंदर देह का अहंकार करता है अगर भगवान इसके ऊपर चमड़े की परत […]