नव द्बारा संसार का, दसवां योगी तार। एकादश खिरकी बनी,शब्द महल सुखसार ।।
संस्मरण-अचानक मुझे ऐसा लगा कोई अदृश्य दिव्य शक्ति आकर,वहाँ पर रखी हुई एक चौकी पर विराजमान हो गई ! वह…
₹1 का सिक्का मेरे हाथ में क्यों थमाया ? ब्राह्मण व्यक्ति उत्तर देते हुए कहते हैं कि, मैं कई दिनों…
स्ववेँद कि वाणी कहती हे इसका नाश निश्चित हे लेकिन सदगुरु भगवान ने इन कारण प्रकुति से सुरक्षीत होने के…
आगामी 1 जून 2024 को समस्त नागरिकों को आवाहन किया जिनका उम्र 18 वर्ष से उपर हो वे अवश्य ही…
आश्रम के विकास व विहंगम योग के प्रचार प्रसार पर विचार विमर्श में कहा सभी गुरू भाई बहनों को मील…
संत और सत्संग का मिलन बड़े भाग्य से होता है। संसार में सुख परिकल्पना है ही नहीं बल्कि दुःख से…
लोभ- तृष्णा, अहंकार के खाई से सभी गुरू शिष्यो को निकलकर दान करना चाहिए। मन की चाल कुचाल है,जीव ही…
आरा / भोजपुर | भव्य -दिव्य स्ववेंद यात्रा विहंगम योग संत समाज द्वारा निकला गया|
(कमलेश दत्त मिश्र) गया/बिहार| कहानी मधेपुरा के बिजेन्दर यादव जी मास्टर साहब के यहाँ का है।बिजेन्दर जी स्वामी जी के…