शोभायात्रा न केवल आध्यात्मिक जागरूकता का संदेश लेकर निकली, बल्कि भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं को भी उजागर करने का माध्यम बनी। पढ़े कैसे
ब्रह्मविद्या विहंगम योग
आरा, बाघी पाकड़, महर्षि सद्गुरु सदाफल देव आश्रम (सेमरांव), पीरो, तरारी, सहार-खैरा, जगदीशपुर, बिहिया, माधोपुर और बेलवनिया में भी स्ववेंद यात्रा ….
भक्ति और आध्यात्मिक रंग में सराबोर दिखे। होली मिलन समारोह के दौरान सभी भक्तों ने आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा दिया। पढ़े ख़बर
सेमराँव आश्रम में संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज का पावन संरक्षण प्राप्त होगा। साथ ही, श्री ददन सिंह जी (प्रधान परामर्शक) और श्री भूपेंद्र राय (संयोजक, बिहार) जैसे प्रमुख व्यक्तित्वों की गरिमामयी उपस्थिति इस आयोजन | पढ़े ख़बर
अध्यात्म हमें सिखाता है कि हर्ष और शोक दोनों परिस्थितियों में समभाव में रहें और मन की चाल में न फंसें। जय गुरुदेव पढ़े ख़बर
“परमात्मा सत-चित-आनंद स्वरूप हैं। तीर्थों की यात्रा एक फल देती है, संतों के दर्शन चार फल, लेकिन सद्गुरु की कृपा से अनेक फल प्राप्त होते हैं। पढ़े ख़बर
इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि सत्य, सेवा और साधना ही आत्मिक उन्नति का मूल मार्ग है।
आत्म ज्ञान वीना सब सुना , क्या मथुरा क्या काशी। कटार के कार्यक्रम में प्रथम परम्परा सद्गुरु धर्मेन्द्र देव जी महाराज के 106 वीं जन्मजयंती में आप सभी शामिल हो । सद्गुरु प्रभु की सेवा में संलग्न रहे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विहंगम योग के योगदान की प्रशंसा करते हुए इसे समाज कल्याण और आध्यात्मिक उन्नति का प्रभावी माध्यम बताया। आगे पढ़े
महाकुंभ को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गरिमा के अनुरूप स्वच्छ और व्यवस्थित बनाए रखने के लिए सभी संबंधित संगठनों और आम जनता का सहयोग किया गया अपील |
सद्गुरु की कृपा से ही जीव इस संसार से छूटने का मार्ग जान सकता है।
महर्षि सदाफलदेव जी महाराज व आचार्य धर्मचन्द्रदेव जी महाराज का योगदान
संत कबीर का संदेश: जीवन में सत्य मार्ग अपनाएं, मृत्यु के समय पश्चाताप व्यर्थ”
आत्मज्ञान और भक्ति का मार्ग संत सत्संग से होकर गुजरता है। गीता ओझा जी के योगदान को स्मरण करते हुए, यह सभा उनकी स्मृतियों और आध्यात्मिक प्रेरणा को चिरस्थायी बनाने का एक प्रयास किया गया ।
आरा में विहंगम योग के माध्यम से आत्मा के ज्ञान और ध्यान साधना पर जोर |