Category: ज्ञान की बात

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ज्ञान की बात

हमे सेवा की कद्र करनी चाहिए जब भी सेवा मिले|

 संचित कर्मों का ऐसा ही पहाड़ बना हुआ है जिसमें शुभ अशुभ दोनो ही कर्म हैं  जय सदगुरुदेव ईश्  हमारे कर्म कितने गहरे हैं यह हम नही जानते कई ऐसे छोटे छोटे कर्म भी होते हैं जिनके भुगतान के लिये हमें दुबारा इस संसार में आना पड़े पर...
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कभी मौका दो …..{आज की कविता } ABHILASHA BHARDWAJ

 कभी मौका दो खुद को  कदम कदम मुस्कुराने का  फूल तो हर हाल में मुस्कुराया करते हैं  कभी तरीका दो खुद को   वक्त के  साथ गुनगुनाने का  काँटों के जंगल में फोलों का व्यवहार है यही तो प्रेम सौन्दर्य का प्रियतम संसार है कभी मौका दो खुद को फूलों के साथ...
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जब तक विकार रुपी १९ ऊँटो को दूर नहीं किया जाए ,तब तक सच्चा सुख शांति ,संतोष व् आनंद की प्राप्ति नहीं की जा सकती | {story}

मेरे 19 ऊंटों में से आधे मेरे बेटे को,19 ऊंटों में से एक चौथाई मेरी बेटी को, और 19 ऊंटों में से पांचवाँ हिस्सा मेरे नौकर को दे दिए जाएँ।   19 ऊंट की कहानी  एक गाँव में एक व्यक्ति के पास 19 ऊंट थे।  एक दिन उस व्यक्ति...
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क्योँ तुम आज भी {आज की काव्य पंक्तियाँ } abhilasha bhardwaj

  क्योँ तुम आज भी जीवंत ही खड़े हो ….?क्या पीड़ा  से तुम डरे नहीं  …..?क्या पुन्य के प्रभाव गीत तुम लिखते हो …?जो डटे रहे पर मिटे नहीं …| क्यूँ तुम आज भी योगी मौन बने हो…? क्या परिवर्तन से तुम  मिले नहीं …?क्या शून्य बन मनुज की...
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भुखमरी {आज की कवता } Abhilasha Bhardwaaj

आज हर तरफ भुखमरी देखि है मैंने आँखों में पानी दर्द में सनी लाचारी देखी है मैंने  बेजुबानों की बात तो छोड़ ही डालो जुबान भी रोटी को तरसती देखि है मैंने  इंसानों की चाँद बस्तियां भले ही रंगीन हो रही हैं आज भी सभ्यता में  बेबस हड्डियाँ जलती देखि हैं...
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मुसाफिर हूँ {आज की कविता } Abhilasha Bhardwaaj

मुसाफिर हूँ  अपना सफर है  अपनी ही कहानी लिखता हूँ …… जो छिपी है ,तुझमें असीम गहराइयाँ  उसमें डूब खो जाना चाहता हूँ  मुसाफिर हूँ …… तेरे खामोश सन्नाटों में उतर  मेरे अल्फाजों की सहर देखता हूँ  फिसलते हुए रस्ते अनकही वादियाँ बने  हैं  साथ चलकर  अपने, उन्हें...
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प्रिय वृक्ष {आज की कविता } ABHILASHA BHARDWAJ

  प्रिय वृक्ष  प्रिय वृक्ष तुम्हारी लता रुपी झरोखों से नित ही मैं सूरज की नृत्य करती रश्मियों को देखकर आह्लादित होता हूँ  ये  नृत्य करती रश्मियाँ जब मेरे मन मस्तिष्क का स्पर्श करती हैं तो मुझे एसा ा आभास होता है जैसे मेरी देह आशा का एक सुन्दर गेह बन गया...
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अभी उड़ना बाकी है {आज की कविता } Abhilasha Sharma

अभी उड़ना बाकी है  उड़ना अभी बाकी है क्यूंकि आशाओं की शान अभी बाकी है थम चुकी भावनाओं का मान अभी बाकी है  सपनों की राह में उड़ना अभी बाकी है थक  सी गयी हैं आखें लेकिन अभी रौशनी बाकी है उड़ते हुए पंछियों से ,गाते हुए भ्रमर से राग पूंछना बाकी...
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“अगर तुम समझती मेरी भाषा {आज की कविता } Abhilasha Bhardwaaj

  “अगर तुम समझती  मेरी भाषा              तो जीवन  है  हर पल एक प्यारी सी आशा …  अभिव्यक्ति के मौन सिन्धु में    प्रेम है एक सुन्दर परिभाषा  अगर तुम समझती मेरी भाषा ना होती क्षण क्षण  व्यर्थ हताशा  संघर्षों के निष्ठुर पाषाणों में ना होती...
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विलुप्त हो रहा निश्चय तेरा,तु निज धर्मं भुला कर बैठा ,{आज की कविता } Gyan ki Baat

      विलुप्त हो रहा निश्चय तेरा,तु निज धर्मं भुला कर बैठा  विलुप्त हो रहा  निश्चय तेरा तु निज धर्म भुला कर बैठा,  निज अहम भाव की तुष्टि में तेरा निज कर्म  भुला कर बैठा।…. क्यूं बढ़ रहा नित मोह के पथ पर जहां तम की गहरी...
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नन्हीं चिड़िया abhilasha bhardwaaj

मैं बाग़ की नन्हीं कलियों में  ” मैं  बाग़  की  नन्ही  कलियों  में  सवेरा निशदिन  ढूंढ कर लाई |   सूरज की चंचल नव किरणों संग आशा की ओढ़नी ओढ़ कर आई     नीला अम्बर वतन मेरा शाखों की बस्ती में हर हाल में मुस्काई    सुन्दरतम है तेरी महिमा...
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अपनी प्रार्थनाओं में लोगों को सद्बुद्धि मिलने का भी भाव रहना चाहिए Gyan Ganga

आज भारत ही नहीं सारे संसार की बड़ी भयावह स्थिति हो गई है । संसार एक ऐसे बिंदु के समीप पहुँच गया है, जहाँ पर किसी समय भी उसका ध्वंस हो सकता है आज संसार को भयानक ध्वंस से बचाने के लिए वैयक्तिक तथा सामूहिक प्रार्थनाओं के द्वापर काल में महाभारत...
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मिट्टी की तरह बनकर देखो {लघु कविता}Abhilasha Bhardwaaj

मिट्टी एक जीवन स्वरुप   मिट्टी की तरह बनकर देखो  हर सांचे में ढलकर देखो  पलती है कर्मठ धरणी पर करने समर्पण जीवन को दाहकता में जलती है…… मिट्टी की तरह बनकर देखो जन्म मरण में साथ चलती है ना तजती निज स्वाभिमान को हर रूप स्वरुप में एक...
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जीत अहम् नहीं है {लघु कविता } GYAN KI BAAT अभिलाषा भारद्वाज

हार एक पुरुष्कार  जीतना अहम नहीं है जीत के पश्चात यदि अहम है तो जीत निश्चित ही नहीं है  जीत उतनी आनंद दायक नहीं जितनी असलफता रोमांचक है जीत के पश्चात आप रुक जाते हैं परंतु हारकर फिर चलना सीख जाते हैं  जीत को दिया गया पुरुस्कार  अस्तित्व...
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समय संपदा का सदुपयोग कीजिए GYAN KI BAT DntvIndiaNews.com

                 मनुष्य के पास ईश्वर प्रदत्त पूँजी है – “समय” “समय” संसार की सबसे मूल्यवान संपदा है। यह वह मूल्यवान संपत्ति है, जिसके मूल्य  पर संसार की कोई भी सफलता प्राप्त की जा सकती है। समय का सदुपयोग करने वाले व्यक्ति...