ज्ञान की बात

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उम्मीद

कविता का भावार्थ यह है कि हम जिस भी परिस्थिति में हों स्वयं से प्रति साहस से पूर्ण उम्मीद को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। स्वयं से यदि उम्मीद कभी न टूटे तो मनुष्य हर असफलता को पार कर जाता है।

आज की प्रेरणा (समता)

“मूल उद्देश्य”
समता का मूल अर्थ है, समानता । समानता अपने अर्थ में एक दम सरल जान पड़ती है किंतु इसके गहन भाव को हम जीवन पर्यंत भी व्यवहार में क्रियान्वित नहीं कर पाते । समानता का अन्य भाव , पक्षपात रहित भावना । आशय यही है कि हम सभी को हर अवस्था , दशा में सम रहना चाहिए। यही योगी और योग की पराकाष्ठा है ।

समुद्र मंथन से १४ रत्नों में विशेष और महत्वपूर्ण श्री कामधेनु…

गौ माता एक परित्यक्ता “मां”। मानव की बढ़ती की स्वार्थ की भूख और क्रूरता एक मानसिक दिवालियापन। ✍️
अभिलाषा भारद्वाज

भगवान के इस हृदय अंश को ब्रह्म पदार्थ कहते हैं

जगन्नाथ महाप्रभु का रहस्य |

भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के 36 साल बाद अपना देह त्याग दिया। जब पांडवों ने उनका अंतिम संस्कार किया तो श्रीकृष्ण का पूरा शरीर तो अग्नि में समा गया, लेकिन उनका हृदय धड़क ही रहा था।

यज्ञ के माध्यम से स्वयं नारायण जीव को त्रिताप जैसे दैहिक दैविक और भौतिक तापों से मुक्त कर देते हैं। जिस स्थल पर महायज्ञ होता है, वह तीर्थ स्थल से बढ़कर है।जो महायज्ञ के यज्ञमंडप की परिक्रमा हरिनाम संकीर्तन करते हुए करता है उसे अर्थ, धर्म काम और मोक्ष की मोक्ष की प्राप्ति होती है।

यज्ञ स्थल तीर्थ से बढ़कर है|देवराहाशिवनाथ

महायज्ञ के यज्ञमंडप की परिक्रमा हरिनाम संकीर्तन करते हुए करता है उसे अर्थ, धर्म काम और मोक्ष की मोक्ष की प्राप्ति होती है।

DNTV INDIA NEWS

बौद्धिक दास न बनिए |

धारणाओं एवं विश्वासों को जाने-अनजाने ज्यों का त्यों अपना लेता है। वह उनके विषय में सत्य असत्य, तथ्य अथवा अतथ्य का तर्क लेकर न तो विचार करता है |

संजीवनी ज्ञानामृत

मोहग्रस्त नहीं, विवेकवान बनें |

सोचना क्लिष्ट कल्पना है कि घर वालों को सहमत करने के बाद परमार्थ के लिए कदम उठाएँगे। यह पूरा जीवन समाप्त हो जाने पर भी संभव नहीं होगा।