अंतर्मन का चित्रण
मन मनुष्य का वह द्वार है जिसमें प्रवेश करने के बाद हमारी सम्पूर्ण जीवन की मनो वृति ही परिवर्तित हो जाती है । कहा गया है, "मन हमारा मित्र भी है और शत्रु भी"।
कलम के बिंदु
काव्य की सरसता मन को कोमल भाव प्रदान करती है । "कलम एक ऐसा उपकरण है जो लिखी गई बात को सत्य प्रमाणित करती है" ।
मन के अनंत स्वरूप
मन को सूक्ष्म रूप शरीर कह सकते हैं। मन के समान चतुर , निडर , शासक भोक्ता अन्य कोई भी नहीं है
ओ रोशनी
प्रकाश का उद्देश्य अनंत को प्रकाशित करना ।मृत को प्राणवान करना । इस कविता का भाव यह है कि ओ प्रकाश यद्यपि तु प्रकाशवान है और तेरा प्रण अज्ञान रूपी अंधेरे को नष्ट करना है,फिर भी मेरे लिए तु धीरे धीरे चल ताकि मैं भी तुम्हारे साथ चल सकूं ।
मैं वृक्ष हूं
वृक्ष ही जीवन है अब यह सत्य बात लोगों के लिए मात्र निज स्वार्थ सिद्धि के लिए प्रयोग में लाई जा रही है। वृक्षों की व्यथा कौन सुने सब आडम्बर की अटारी पर चढ़ कर बैठे हुए हैं। विकास तो सबको सूझ रहा है परंतु आंतरिक दुःख से हर कोई अनभिज्ञ है ।
ब्रह्माण्ड एक अनंत संकल्प यात्रा
संकल्प यदि दृढ़ है तो बाधाएं भी संघर्ष की विरोधी बन जाती हैं।अनंत के प्रेम को लगन अनंत से मिला देती है।
जीत की ललकार
अधर्म जब अपनी सीमा से ऊपर उठकर चलने लगता है तो परशु धारी परशुराम जैसे गुरुओं और सुदर्शन चक्र धारी भगवान श्री कृष्ण को प्रथ्वी पर आना ही पड़ता है। फिर विजय की ललकार से अधर्म क्षत विक्षत हो जाता है।
स्वार्थ में डूबा मोह
आज के समय का मनुष्य मोह,स्वार्थ मिथ्या अहंकार में डूबकर प्रति एक कार्य कर रहा है । उसके भाषण में स्वार्थ का मिथ्यावाद है ।
हौंसला रख ।
दुःख की परिस्थिति में अपनी हिम्मत कभी नहीं टूटनी चाहिए। हौंसला मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र है ।
परिवर्तन ही सुधार
मनुष्य के विचारों में यदि प्राण हैं तो वे क्रांति को जन्म देते हैं, क्रांति परिवर्तन करती है। परिवर्तन लहू मांगता है । लहू जीवन के लिए आवश्यक है । आवश्यकताएं जीवन के लिए कटिबद्ध हैं । इसलिए परिवर्तन के लिए तैयार रहना चाहिए। परिवर्तन से ही सुधार संभव है ।
बात की महिमा
बात की महिमा अनंत अपार है । बात ही कारण और बात ही निराकरण है ऐसी परिभाषा है बात की । बात करने से ही सब संशय और भ्रम नष्ट हो जाते हैं। अधिकतर लोग अपने आप को छिपाने के लिए बात करने से पीछे रहते हैं। बात एक प्रकार की अभिव्यक्ति है। जो आपको बेबाक बना सकती है।
उम्मीद
कविता का भावार्थ यह है कि हम जिस भी परिस्थिति में हों स्वयं से प्रति साहस से पूर्ण उम्मीद को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। स्वयं से यदि उम्मीद कभी न टूटे तो मनुष्य हर असफलता को पार कर जाता है।
विचार शक्ति को परिष्कृत कीजिए
०३ अगस्त २०२४ शनिवार- ‼️
-श्रावण कृष्णपक्ष चतुर्दशी २०८१-
आनंद सहज और सुलभ है।
आनंद की दौड़ भले ही धीमी हो पर वह एक ऐसी व्यवस्था है जो अंतर को उजाले से भर देती है।सुख की अग्नि जीवन को राख बना देती है परंतु आनंद का प्रकाश अनंत काल तक आपके साथ रहता है । दुख में एक तरह की तपन होती...