‼ -०३ नवंबर २०२४ रविवार- ‼️
-कार्तिक शुक्लपक्ष द्वितीया २०८१-
ज्ञान की बात
३० अक्टूबर २०२४ बुधवार-‼️
-कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी २०८१
१९ अक्टूबर २०२४ शनिवार-‼️
कार्तिक कृष्णपक्ष द्वितीया २०८१
१८ अक्टूबर २०२४ शुक्रवार-‼️
-कार्तिक कृष्णपक्ष प्रतिपदा २०८१-
११ अक्टूबर २०२४ शुक्रवार-‼️
-आश्विन शुक्लपक्ष नवमी २०८१
२६ सितंबर २०२४ गुरुवार-‼️
-आश्विन कृष्णपक्ष नवमी २०८१-
१९ सितंबर २०२४ गुरुवार-‼️
-आश्विन कृष्णपक्ष द्वितीया २०८१-
‼️संजीवनी ज्ञानामृत‼️
महाराज युधिष्ठिर का संकल्प था कि वे अपनी प्रजा को सदा दान देते रहेंगे। उनके पास अक्षय पात्र था जिस की विशेषता थी कि उससे […]
नारी आज का अति सोचनीय विषय है । आज के समय को देखते हुए नारी की अस्मिता तार तार हो रही है। जगह जगह नारी शोषण , अत्याचार , बलात्कार , घटनाएं देखने को मिल रही हैं। आखिर क्या हो गया है इस पंगु समाज की सोच को ।
जब भी मन जोश से पूर्ण होता है,वह ऊंची ऊंची पर्वत श्रृंखला को भी जीत लेता है,मन को सदैव ऊर्जावान बनाए रखने का संकल्प अच्छे विचारों से सहमती है । ” मन के हारे हार है मन के जीते जीत “।
वक्त एक ऐसा परिंदा है जो अपने पंखों में सब कुछ दबाकर ले जाता है । वक्त के सामने कोई भी नहीं टिक सका है । वह अनवरत है , निरंतर गतिमान है ।
१६ अगस्त २०२४ शुक्रवार- ‼️
-श्रावण शुक्लपक्ष एकादशी २०८१-
मन मनुष्य का वह द्वार है जिसमें प्रवेश करने के बाद हमारी सम्पूर्ण जीवन की मनो वृति ही परिवर्तित हो जाती है । कहा गया है, “मन हमारा मित्र भी है और शत्रु भी”।
काव्य की सरसता मन को कोमल भाव प्रदान करती है । “कलम एक ऐसा उपकरण है जो लिखी गई बात को सत्य प्रमाणित करती है” ।
मन को सूक्ष्म रूप शरीर कह सकते हैं। मन के समान चतुर , निडर , शासक भोक्ता अन्य कोई भी नहीं है