यक्ष और युधिष्ठिर संवाद, आपका जीवन बदल देगा। एक बार अवश्य पढ़े
युधिष्ठिर ने उत्तर में कहा- “हे यक्ष! सूर्य को ब्रह्म उदित करता है। देवता उसके चारों ओर चलते हैं। धर्म उसे अस्त करता है और वह सत्य में प्रतिष्ठित है।”
सत्य को सम्मान के साथ अपनाइए
‼ -०३ नवंबर २०२४ रविवार- ‼️
-कार्तिक शुक्लपक्ष द्वितीया २०८१-
उपासना के लिए अत्यंत उपयोगी।
३० अक्टूबर २०२४ बुधवार-‼️
-कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी २०८१
हम सुधरें तो जग सुधरे का क्या मतलब है ? एक बार जरुर पढ़े..
१८ अक्टूबर २०२४ शुक्रवार-‼️
-कार्तिक कृष्णपक्ष प्रतिपदा २०८१-
दृष्टिकोण
१९ सितंबर २०२४ गुरुवार-‼️
-आश्विन कृष्णपक्ष द्वितीया २०८१-
‼️संजीवनी ज्ञानामृत‼️
दान कब पाप है ॽ
महाराज युधिष्ठिर का संकल्प था कि वे अपनी प्रजा को सदा दान देते रहेंगे। उनके पास अक्षय पात्र था जिस की विशेषता थी कि उससे जो भी मांगा जाए तुरंत प्रस्तुत कर देता था। युधिष्ठिर ने अपने दान के बल पर शिवि, दधिचि और हरिश्चंद्र को भी पीछे...
नारी विशेष
नारी आज का अति सोचनीय विषय है । आज के समय को देखते हुए नारी की अस्मिता तार तार हो रही है। जगह जगह नारी शोषण , अत्याचार , बलात्कार , घटनाएं देखने को मिल रही हैं। आखिर क्या हो गया है इस पंगु समाज की सोच को ।
उठा लो मन को पर्वत सा
जब भी मन जोश से पूर्ण होता है,वह ऊंची ऊंची पर्वत श्रृंखला को भी जीत लेता है,मन को सदैव ऊर्जावान बनाए रखने का संकल्प अच्छे विचारों से सहमती है । " मन के हारे हार है मन के जीते जीत "।
वक्त एक सफर है
वक्त एक ऐसा परिंदा है जो अपने पंखों में सब कुछ दबाकर ले जाता है । वक्त के सामने कोई भी नहीं टिक सका है । वह अनवरत है , निरंतर गतिमान है ।