क्या लिखूं.....?ऐसा जो हर किसी के लिए एक रौशनी बन जाए आंसू की एक एक बूँद सबके लिए दीप बनकर जगमगाए…
मानस संजीवनी ज्ञानपीठ (सनातन वैदिक शिक्षा एवं शोध संस्थान) परिवार के प्रति हमें सच्चे अर्थों में कर्त्तव्यपरायण और उत्तरदायित्व निर्वाह…
मां तुझको अर्पण मेरे जीवन की फुलवारी है तुच्छ समर्पण मेरा तुझको मां तु कितनी प्यारी हैमस्तक पर कर्तव्य का भार…
मैंने सुना है वो रात के किनारों पर सुनसान अकेली राहों पर मेरे क़दमों में देखि है मैंने वो फड़कती कोंधतीबिजली सी …
नैतिकता केवल किताबों में ही अच्छी लगती है, नैतिकता का पालन सत्ता में यदि हो तो राष्ट्र निर्माण होता…
संचित कर्मों का ऐसा ही पहाड़ बना हुआ है जिसमें शुभ अशुभ दोनो ही कर्म हैं जय सदगुरुदेव ईश् हमारे कर्म कितने…
कभी मौका दो खुद को कदम कदम मुस्कुराने का फूल तो हर हाल में मुस्कुराया करते हैं कभी तरीका दो खुद को वक्त के …
मेरे 19 ऊंटों में से आधे मेरे बेटे को,19 ऊंटों में से एक चौथाई मेरी बेटी को, और 19 ऊंटों…