मां तुझको अर्पण मेरे जीवन की फुलवारी है तुच्छ समर्पण मेरा तुझको मां तु कितनी प्यारी हैमस्तक पर कर्तव्य का भार…
मैंने सुना है वो रात के किनारों पर सुनसान अकेली राहों पर मेरे क़दमों में देखि है मैंने वो फड़कती कोंधतीबिजली सी …
नैतिकता केवल किताबों में ही अच्छी लगती है, नैतिकता का पालन सत्ता में यदि हो तो राष्ट्र निर्माण होता…
संचित कर्मों का ऐसा ही पहाड़ बना हुआ है जिसमें शुभ अशुभ दोनो ही कर्म हैं जय सदगुरुदेव ईश् हमारे कर्म कितने…
कभी मौका दो खुद को कदम कदम मुस्कुराने का फूल तो हर हाल में मुस्कुराया करते हैं कभी तरीका दो खुद को वक्त के …
मेरे 19 ऊंटों में से आधे मेरे बेटे को,19 ऊंटों में से एक चौथाई मेरी बेटी को, और 19 ऊंटों…
क्योँ तुम आज भी जीवंत ही खड़े हो ....?क्या पीड़ा से तुम डरे नहीं .....?क्या पुन्य के प्रभाव गीत तुम…
आज हर तरफ भुखमरी देखि है मैंने आँखों में पानी दर्द में सनी लाचारी देखी है मैंने बेजुबानों की बात तो छोड़…
मुसाफिर हूँ अपना सफर है अपनी ही कहानी लिखता हूँ ......जो छिपी है ,तुझमें असीम गहराइयाँ उसमें डूब खो जाना चाहता हूँ मुसाफिर हूँ…
प्रिय वृक्ष प्रिय वृक्ष तुम्हारी लता रुपी झरोखों से नित ही मैं सूरज की नृत्य करती रश्मियों को देखकर आह्लादित होता हूँ ये नृत्य…