त्रिजटा: करुणा और धर्म की प्रतीक
त्रिजटा की कथा रामायण के गूढ़ और प्रेरणादायक पहलुओं में से एक है, जो एक राक्षसी से साध्वी बनने के सफर को दर्शाती है। यह कथा हमें न केवल कर्तव्य, विवेक और धर्म के महत्व का पाठ सिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि जीवन में सही निर्णयों और सही समय पर किए गए कार्यों से कैसे किसी का व्यक्तित्व और इतिहास में स्थान बदल सकता है।
दृष्टिकोण की शक्ति|
दृष्टिकोण की विकृतियाँ हमें अकारण उलझनों में उलझाती हैं और खिन्न रहने के लिए विवश करती हैं। हम गरीब हैं या अमीर, इसका निर्णय दूसरों के साथ तुलना करने पर निर्भर करता है। जब स्वयं को अमीरों की तुलना में आँका जाता है, तो हम हल्के पड़ते हैं...
विनम्रता की शक्ति: लक्ष्मण और मेघनाद के युद्ध की अनकही सीख|
छवि, जिसमें लक्ष्मण जी विनम्रतापूर्वक सैनिक से भिक्षा मांगते हुए दिखाए गए हैं। चित्र में प्रभु श्रीराम और हनुमान दूर से देखते हुए दिखाई दे रहे हैं, और दृश्य को भोर की रोशनी और प्राकृतिक परिवेश का दिव्य दर्शन।
उल्लास का महापर्व
जीवन में कुछ भी असंभव नहीं। पाने की जिज्ञासा जानने का हठ हर बाधा को पार करा देता है।
दुर्बल मन”शुभ संकल्प जगाइए|
दुर्बल मन:स्थिति के लोग प्रायः अशुभ भविष्य की कल्पनाएँ करते रहते हैं। विपत्तियों और असफलताओं की आशंकाएँ उनके मन पर छाई रहती हैं। वे ऐसे कारणों को खोजते और तर्कों को गढ़ते हैं, जो भविष्य में किसी संकट के आगमन की पुष्टि कर सकें। बिगड़ी हुई तस्वीरों में...
पूरब का ब्रह्माण्ड, पश्चिम का बिगबैंग और भूतों वाली फिल्म|
हमारी शिक्षा और व्यवस्था, आलेख
दान कब और कैसे पाप है?
१७ नवंबर २०२४, रविवार
- मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष द्वितीया, संवत २०८१
“पूर्ण सत्य” किस बिंदु से किस बिंदु तक|
अपूर्णता: संसार में पूर्ण कुछ नहीं है। केवल ब्रह्म को ही पूर्ण कहा जाता है, जिसके विषय में शुक्ल यजुर्वेद के शांतिपाठ में वर्णित है: पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥ इसके कई अर्थ कल्पित हैं। यजुर्वेद का होने से पहले यज्ञ संबंधी अर्थ गीता (8/1-4) के...
संसार की सर्वोपरि शक्ति-आत्मीयता|
१५ नवंबर २०२४ शुक्रवार- ‼️
-कार्तिक शुक्लपक्ष पूर्णिमा २०८१
मोहग्रस्त नहीं, विवेकवान बनें।
‼ -१४ नवंबर २०२४ गुरुवार- ‼️
-कार्तिक शुक्लपक्ष त्रयोदशी २०८१-