आश्रम के विकास व विहंगम योग के प्रचार प्रसार पर विचार विमर्श में कहा सभी गुरू भाई बहनों को मील जुलकर एक साथ गुरू सेवा कार्य में लगना पड़ेगा तभी संत समाज व आश्रम का विकास होगा जिसके फलस्वरूप सद्गुरु देव भगवान की कृपा भी हम सबको प्राप्त होता रहेगा। आगे उन्होंने कहा कि सबको प्रेम शांति से रहना चाहिए। स्ववेंद के दोहे को प्रस्तुत करते हुए कहा कि सद्गुरु सदाफल देव महाराज जी ने हम सभी के लिए कितना बड़ा संदेश दिया है |
ब्रह्मविद्या विहंगम योग
संत और सत्संग का मिलन बड़े भाग्य से होता है। संसार में सुख परिकल्पना है ही नहीं बल्कि दुःख से निवृत्त होने का उपाय वैराग्य है। निष्काम भाव से किया गया कर्म ही विक्रम की श्रेणी में आता है इसके लिए सद्गुरु का मिलन आवश्यक है।
लोभ- तृष्णा, अहंकार के खाई से सभी गुरू शिष्यो को निकलकर दान करना चाहिए। मन की चाल कुचाल है,जीव ही उबटन चलाए । इससे निवृत्ति का उपाय केवल सद्गुरु ही बतला सकते हैं।
आरा / भोजपुर | भव्य -दिव्य स्ववेंद यात्रा विहंगम योग संत समाज द्वारा निकला गया|
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