ज्ञान की बात

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ओ रोशनी

प्रकाश का उद्देश्य अनंत को प्रकाशित करना ।मृत को प्राणवान करना । इस कविता का भाव यह है कि ओ प्रकाश यद्यपि तु प्रकाशवान है और तेरा प्रण अज्ञान रूपी अंधेरे को नष्ट करना है,फिर भी मेरे लिए तु धीरे धीरे चल ताकि मैं भी तुम्हारे साथ चल सकूं ।

मैं वृक्ष हूं

वृक्ष ही जीवन है अब यह सत्य बात लोगों के लिए मात्र निज स्वार्थ सिद्धि के लिए प्रयोग में लाई जा रही है। वृक्षों की व्यथा कौन सुने सब आडम्बर की अटारी पर चढ़ कर बैठे हुए हैं। विकास तो सबको सूझ रहा है परंतु आंतरिक दुःख से हर कोई अनभिज्ञ है ।

जीत की ललकार

अधर्म जब अपनी सीमा से ऊपर उठकर चलने लगता है तो परशु धारी परशुराम जैसे गुरुओं और सुदर्शन चक्र धारी भगवान श्री कृष्ण को प्रथ्वी पर आना ही पड़ता है। फिर विजय की ललकार से अधर्म क्षत विक्षत हो जाता है।

परिवर्तन ही सुधार

मनुष्य के विचारों में यदि प्राण हैं तो वे क्रांति को जन्म देते हैं, क्रांति परिवर्तन करती है। परिवर्तन लहू मांगता है । लहू जीवन के लिए आवश्यक है । आवश्यकताएं जीवन के लिए कटिबद्ध हैं । इसलिए परिवर्तन के लिए तैयार रहना चाहिए। परिवर्तन से ही सुधार संभव है ।

बात की महिमा

बात की महिमा अनंत अपार है । बात ही कारण और बात ही निराकरण है ऐसी परिभाषा है बात की । बात करने से ही सब संशय और भ्रम नष्ट हो जाते हैं। अधिकतर लोग अपने आप को छिपाने के लिए बात करने से पीछे रहते हैं। बात एक प्रकार की अभिव्यक्ति है। जो आपको बेबाक बना सकती है।

उम्मीद

कविता का भावार्थ यह है कि हम जिस भी परिस्थिति में हों स्वयं से प्रति साहस से पूर्ण उम्मीद को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। स्वयं से यदि उम्मीद कभी न टूटे तो मनुष्य हर असफलता को पार कर जाता है।

आज की प्रेरणा (समता)

“मूल उद्देश्य”
समता का मूल अर्थ है, समानता । समानता अपने अर्थ में एक दम सरल जान पड़ती है किंतु इसके गहन भाव को हम जीवन पर्यंत भी व्यवहार में क्रियान्वित नहीं कर पाते । समानता का अन्य भाव , पक्षपात रहित भावना । आशय यही है कि हम सभी को हर अवस्था , दशा में सम रहना चाहिए। यही योगी और योग की पराकाष्ठा है ।