कविता का भावार्थ यह है कि हम जिस भी परिस्थिति में हों स्वयं से प्रति साहस से पूर्ण उम्मीद को…
आनंद की दौड़ भले ही धीमी हो पर वह एक ऐसी व्यवस्था है जो अंतर को उजाले से भर देती…
जितना अहंकार को त्याग कर आप प्रकृति के समीप जाएंगे , वह उतना ही आपको स्नेह करेगी यह एक दम…
०१ अगस्त २०२४ गुरुवार- ‼ -श्रावण कृष्णपक्ष द्वादशी २०८१
"मूल उद्देश्य" समता का मूल अर्थ है, समानता । समानता अपने अर्थ में एक दम सरल जान पड़ती है किंतु…
गौ माता एक परित्यक्ता "मां"। मानव की बढ़ती की स्वार्थ की भूख और क्रूरता एक मानसिक दिवालियापन। ✍️ अभिलाषा भारद्वाज
३० जुलाई २०२४ मंगलवार-‼️ -श्रावण कृष्णपक्ष दशमी २०८१- ‼️संजीवनी ज्ञानामृत‼️