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बिहार के डेंटल ग्रेजुएट्स भर्ती से वंचित, नीतीश सरकार की आरक्षण नीति पर विवाद

अपने ही राज्य में बेगाने हुए डेंटल ग्रेजुएट्स

बाहर पढ़े छात्रों को नौकरी से वंचित कर रही नीतीश सरकार की आरक्षण नीति, मुख्यमंत्री से लगाई गुहार

पटना।
बिहार के दंत चिकित्सक बनने का सपना संजोए मेधावी छात्रों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सीधी गुहार लगाई है। उनका आरोप है कि राज्य सरकार की वर्तमान भर्ती नीति उनके साथ दोहरा अन्याय कर रही है।

विज्ञापन संख्या 20/2025 के तहत निकली भर्ती में केवल बिहार के डेंटल कॉलेजों से बीडीएस डिग्रीधारी छात्रों को 50% क्षैतिज आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। वहीं, बिहार मूल के वे छात्र जिन्होंने मजबूरीवश राज्य के बाहर डिग्री हासिल की है, उन्हें इस नीति के कारण नौकरी से वंचित कर दिया गया है।

छात्रों का कहना है कि—

“बिहार में डेंटल कॉलेजों की संख्या बेहद कम है। मजबूरी में हमें दूसरे राज्यों में पढ़ाई करनी पड़ी। लेकिन अब वही डिग्री हमारे खिलाफ खड़ी कर दी गई है। हम न तो दूसरे राज्यों में भर्ती पा रहे हैं क्योंकि वहां ‘स्थानीय निवासी’ की शर्त है, और न ही अपने ही बिहार में मौका मिल रहा है। यह हमारे भविष्य से खिलवाड़ है।”

छात्रों ने मांग की है कि आरक्षण को संस्थान आधारित न रखकर, डोमिसाइल आधारित किया जाए। उनका तर्क है कि बिहार के मूल निवासी होने पर 95% सीटें उन्हें योग्यता के आधार पर मिलनी चाहिए, चाहे उन्होंने डिग्री बिहार से ली हो या बाहर से।

यह मामला अब छात्रों में आक्रोश और निराशा दोनों को जन्म दे रहा है। उनका कहना है कि अगर सरकार ने नीति में बदलाव नहीं किया तो बिहार के मेधावी युवा राज्य की सेवा करने के बजाय बेरोजगारी की मार झेलते रहेंगे।