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Army Chief's statement

आर्मी चीफ का बयान और अग्निवीर योजना पर सवाल ?

भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सैनिकों के बलिदान और उनके हक की बात करते हुए कहा कि— “देश की रक्षा के लिए सैनिक गोलियों की बौछार के बीच सीना तानकर खड़ा रहता है। वह अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार रहता है। ऐसे में उसे उचित वेतन और बेहतर सुविधाओं के रूप में एक ‘X फैक्टर’ मिलना चाहिए।”

जनरल द्विवेदी का यह बयान सैनिकों के प्रति सम्मान और उनकी जरूरतों को रेखांकित करता है। लेकिन इसी संदर्भ में अग्निपथ योजना और अग्निवीरों के भविष्य को लेकर कुछ गंभीर सवाल खड़े होते हैं—

🔹 क्या सिर्फ 4 साल की सेवा पर्याप्त है?
भारतीय सेना में शामिल होने का सपना देखने वाले युवाओं के लिए अग्निपथ योजना सिर्फ 4 साल की नौकरी की पेशकश करती है, जिसमें से केवल 25% को ही आगे स्थायी रूप से सेना में शामिल होने का अवसर मिलता है। बाकी 75% को बिना पेंशन और अन्य सुविधाओं के बाहर कर दिया जाता है।

🔹 क्या अग्निवीरों को भी मिलेगा ‘X फैक्टर’?
आर्मी चीफ का बयान सैनिकों को अतिरिक्त लाभ देने की बात करता है, लेकिन सवाल है कि क्या अग्निवीरों को भी वही सुविधाएं मिलेंगी? अभी तक अग्निवीरों के लिए किसी ‘X फैक्टर’ या अन्य स्थायी भत्तों की घोषणा नहीं हुई है।

🔹 क्या सेना के लिए बलिदान देने वालों को पक्की नौकरी और पेंशन से वंचित रखना सही है?
भारतीय सेना के नियमित सैनिकों को पेंशन और अन्य सुविधाएं दी जाती हैं, लेकिन अग्निवीरों को इनसे वंचित रखा गया है। क्या यह उन युवाओं के साथ न्याय है जो सेना में शामिल होकर देश के लिए मर-मिटने को तैयार हैं?

🔹 शौर्य, पराक्रम और बलिदान में भेदभाव क्यों?
अगर कोई सैनिक देश की रक्षा में समान सेवा देता है, तो फिर अग्निवीर और स्थायी सैनिकों के बीच भेदभाव क्यों? क्या यह उचित है कि कुछ को पूरी सुविधाएं मिलें और कुछ को केवल 4 साल बाद बाहर कर दिया जाए?

निष्कर्ष
जनरल उपेंद्र द्विवेदी की बात से यह तो स्पष्ट है कि सैनिकों को बेहतर सुविधाएं मिलनी चाहिए। लेकिन अग्निपथ योजना के तहत भर्ती किए गए अग्निवीरों के लिए भी यही तर्क लागू होता है। देश के लिए मर-मिटने वाले जवानों को स्थायी सुरक्षा, उचित वेतन और पेंशन जैसी सुविधाओं से वंचित रखना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर विचार किया जाना चाहिए।