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AITC) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व आरा रंगमंच के महासचिव अशोक मानव के नृतुत में, स्वर कोकिला, भारत रत्न जैसे अनेकों सम्मान से सम्मानित ‘लता मंगेशकर’ के देहावशान शोक सभा आयोजित किया गया।

स्वर कोकिला, भारत रत्न जैसे अनेकों सम्मान से सम्मानित ‘लता मंगेशकर’ के देहावशान पर आरा रंगमंच के कार्यालय में शोक सभा आयोजित किया गया।
भोजपुर/बिहार। आल इंडिया थियेटर काउंसिल(AITC) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व आरा रंगमंच के महासचिव अशोक मानव के नृतुत में पहले सभी रंगकर्मी कलाकारों द्वारा लता दीदी को 2 मिनट का मौन रख श्रद्धांजलि अर्पित किया गया।
 कार्यक्रम का संचालन आरा रंगमंच के संयोजक अनिल तिवारी ‘दीपू ‘ ने किया. रंगकर्मी डॉ पंकज भट्ट ने लता दीदी के गीत ‘”नाम गुम जायेगा, चेहरा ये बदल जायेगा, मेरी आवाज़ ही मेरी पहचान हैं “‘ गा कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. डॉ. अनिल सिंह ने लता मंगेशकर को याद करते हुए कहाँ की लता दीदी की तरह अब कोई दूसरा नहीं होगा।
 रंगकर्मी पल्ल्वी प्रियदर्शी ने कहाँ की लता दीदी ने 20 भाषाओ में लगभग 30 हजार गीत गाये हैं. संचालन करते दीपू ने लता दीदी द्वारा गाये भोजपुरी की पारंपरिक  लोरी “चंदा मामा आरे आव” को याद करते हुए कहा की लता दीदी ने भोजपुरी भाषा में भी गाकर भोजपुरी को गौरानवित किया हैं।
 वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़े वाराणसी से मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि लता दीदी अमर हैं. अपने गीतों से वे हमेशा हमारे बीच रहेंगी।
 अध्यक्षता कर रहे अशोक मानव ने लता दीदी के संघर्ष को याद किया. श्री मानव ने कहा कि उस ज़माने में मात्र 13 वर्ष कि आयु में ही लता दीदी के कंधो पर पुरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई थी,  लता दीदी का जीवन संघर्षो से भरा हैं. दुनियां के अनेको सम्मान व हजारों गीत उनकी सफलता कि कहानी बयां करती हैं।
                     शोकसभा में चित्रकार कमलेश कुंदन, गोरख नाथ पांडे, साहेब लाल यादव, लड्डू भोपाली, आकांछा प्रियदर्शी, पुजा वर्मा, बिजय मेहता, कमल दिप, लक्ष्मण जी, आदि उपस्थित रहे।