जमुई| लोकसभा चुनाव 2024 : बाल श्रम अधिनियम 1986 का होगा सख्ती से अनुपालन। जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग ने इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है।
चुनाव के दौरान बच्चों के किसी भी राजनीतिक अभियान में शामिल होने पर पूरी तरह रोक लगा दी है। यानी चुनाव प्रचार के दौरान बच्चों के माध्यम से मर्सी वोट मांगने , पर्चे बांटने , पोस्टर चिपकाने या फिर नारेबाजी करने पर पूरी तरह रोक रहेगी। भारत निर्वाचन आयोग के इस निर्देश का उल्लंघन होने पर संबंधित जिले के निर्वाचन पदाधिकारी और निर्वाची पदाधिकारी नामित जनों पर विधि-सम्मत कार्रवाई कर सकेंगे।
भारत निर्वाचन आयोग आदेश दरअसल आयोग ने यह निर्णय रांची के एक सोशल एक्टिविस्ट ज्योति शर्मा के द्वारा निर्वाचन आयोग को लिखे गए एक पत्र के आलोक में लिया गया है। उन्होंने बीते 30 जनवरी को लिखे पत्र के जरिए आयोग से चुनाव प्रचार के दौरान बच्चों के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग की है।
भारत निर्वाचन आयोग ने पत्र पर गहन मंथन के बाद उक्त फैसला लिया है। आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि चुनाव संबंधी कार्यों और चुनावी अभियान में बच्चों को शामिल करना कानून के उल्लंघन के दायरे में आयेगा। हालांकि आदेश में यह भी कहा गया है कि किसी राजनीतिक दल के आस-पास माता-पिता या फिर अभिभावक के साथ एक बच्चे की मौजूदगी को चुनाव प्रचार अभियान का हिस्सा नहीं माना जाएगा। आयोग का कहना है कि सभी राजनीतिक दलों और नेताओं को बाल श्रम संशोधित अधिनियम 1986 का कड़ाई से पालन करना होगा। संबंधित जिले के निर्वाचन पदाधिकारी और रिटर्निंग ऑफिसर चुनाव प्रचार अभियान में शामिल भीड़ पर नजर रखेंगे।
अंकित करने वाली बात है कि चुनाव प्रचार के दौरान देश भर में पैसे का लोभ देकर बच्चों को पोस्टर साटने , पर्चे बांटने और नारेबाजी के काम में लगा दिया जाता है। इसके बदले बच्चों को कुछ पैसे दिए जाते हैं। रुपए के लोभ में बच्चे के मन में भटकाव की भावना घर कर जाती है जो पूरी तरह बाल श्रम संशोधित कानून का उल्लंधन है।