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समुद्र मंथन से १४ रत्नों में विशेष और महत्वपूर्ण श्री कामधेनु…

समुद्र मंथन से १४ रत्नों की उत्पत्ति हुई १. कालकूट (हलाहल विष) २.ऐरावत (हाथी ) ३. कामधेनु (गौ) ४. उच्चयै श्रृवा (घोड़ा)५. कौस्तुभ (पद्मराग मणि) ६. कल्पवृक्ष ७. रंभा नामक अप्सरा ८. महालक्ष्मी ९. वरूणी (मदिरा) १०. चंद्रमा ९९. शारंग धनुष १२.पांचजन्य शंख १३. धनवंतरी १४.अमृत । इसके अतिरिक्त ४अन्य पुराणों के अनुसार ” १. निद्रा देवी २. माता अदिति के कुंडल ३.वरुण देवता का छत्र ४.देवी अलक्ष्मी जी । लक्ष्मी कौस्तुभपारिजातकसुराधन्वन्तरिश्चन्द्रमाः। ::गावः कामदुहा सुरेश्वरगजो रम्भादिदेवांगनाः। ::अश्वः सप्तमुखो विषं हरिधनुः शंखोमृतं चाम्बुधेः।::रत्नानीह चतुर्दश प्रतिदिनं कुर्यात्सदा मंगलम्। ::ये सभी रत्न अपनी महत्ता के अनुरूप सभी को प्रदान किए गए।

इन सबमें विशेष और महत्वपूर्ण श्री कामधेनु माता एक ऐसी अमूल्य निधि हैं जिन्होंने अपनी संतति , नंदनी , सुरभि , कपिला आदि के साथ प्रथ्वी पर महान ऋषि महर्षियों के आंगन में रहकर उनको क्रतार्थ किया । हमारे पुराणों में गौ माता पूजनीय है उनके रोम रोम में देव निवास करते हैं। आदि अनादि काल से गौ माता हमारे पूर्वज महा पुरुष सभी उनकी वंदना करते आ रहे हैं, स्वयं भगवान श्री ने गौ माता अनन्य सेवा की उनको प्रेम किया जब भगवान श्री कृष्ण किशोर थे तो नंद बाबा की लाखों गैया थीं सबको श्री प्रभु जी चराने ले जाते थे। जब भगवान बांसुरी बजाते तो सारी गौ माताएं उनको घेर लेती थीं , दौड़ दौड़ कर उनके पास आ जाती थीं, नाचने लगती थीं , उनको स्नेह करतीं कोई जीभ से उनके कपोल कर स्पर्श करती तो कोई उनके पैरों को, कोई उनके बस प्रेम भरे नेत्रों से निहारती तो कोई,गइया अपने नेत्र बंद करके मुरली की मधुर तान सुनती। कितनी गाएं तो भगवान श्री कृष्ण के कंधे पर अपना मूंह रखकर सो जाती थीं उनके प्रेम में खो जाती थीं। ऐसी थी लीला भगवान श्री कृष्ण की आपनी गौ माता के लिए। हर काल गौ माता प्रथम पूजनीय ही रहीं हैं किसी भी महान आत्मा ने गौ का अपमान नहीं किया। गौ माता सदैव इस प्रथ्वी का भरण करने वाली एक समृद्ध संस्कृति है जो सदा ही मानव से निकटता चाहती है।

आज तो आधुनिक युग है बस यही दुर्भाग्य है कि जो आज के परिवेश के चित्र विचित्र हम और आप देख रहे हैं।आज के समय की तेज गति से दौड़ रही दुःख की गहरी पंक्तियों को लिख पाना बहुत कठिन काम है । पीड़ा से भरे हुए हृदय के भाव तो सिर्फ गोविंद ही सुलझा सकते हैं अन्य कोई भी नहीं। आज के 15 साल पहले सब कुछ ठीक था ,इतना उपद्रव ,लूट खसोट ,स्वार्थ की आंधी , भयावह तूफान , अहंकार के सब उसमें उड़ते जा रहे हैं। लेकिन वो सब निरुदेश्य ही हैं न उनका आदि शुभ और न अंत ही । मेरा उद्देश्य आज की त्रासदी का जो ग्रास बन रही है इस सदी एक मात्र प्राणी गौ माता है वैसे तो हर जीव दुखी है परंतु त्रासदी में सबसे ऊपर गौ माता व अन्य बेजुबान हैं , जो सब इंसान की मार झेल रहे हैं,आदमी सबसे बड़ा आतंक वादी है जिसने सारे मानवता के सिद्धांत ताक पर उठा कर रखे हुए हैं वह निजी स्वार्थों को पूरा करने में इतना घिनौना बन गया है कि उसे अपने अंत का भी भास नहीं जैसे वह कभी अंत को प्राप्त ही नहीं होगा । पुराने जमाने में हर घर में गाय और बैल किसान के खूंटे से बंधे होते थे । खेतों में हल चला करते थे सब कुछ था , आरोग्य था , संपन्नता थी , संस्कृति थी , लोग भले ही अबोध थे अशिक्षित थे पर उनके हृदय में पीड़ा थी दया थी करुणा थी प्रेम था सहयोग था सहानभूति थी संयुक्त बंधन थे , दूरी थी परंतु सुरक्षा थी सब पेट भर कर खाते थे गौ चारण करके खुश थे ।

आज इस दुनिया को क्या हो गया….??प्रश्न है तो उत्तर भी है…..!! उत्तर यही है अति हर चीज की बुरी होती है अधिक साक्षरता दमन को बुलावा देती है ठीक वैसे ही यदि शिक्षा में यदि संस्कार नहीं तो वह विषैली हो गई, सबको डस रही है। किसान की बढ़ती कमी , बढ़ती तकनीकी ने किसानों को भ्रम में डाल दिया है। किसानों ने तकनीकी को ऐसे पकड़ा की सारे गौ वंश परिवार हीन हो गए बेघर हो गए जगा जगा से उनको दुतकारा जाने लगा घास के एक एक तिनके के मोहताज बना दिए गए। गौ माता जो विश्व की माता है उसी को परित्यकत्ता बना दिया, ।बस यही तक सफर उसका आगे की कहानी अब शुरू होती है 15, 20साल से ऐसे ही घूम रही है कितनी सरकार आ गईं किसी की नज़र में वो चश्मा नहीं पहना अभी जो ऐसी निर्मम तस्वीर देख सके ।
वादों की बौछार हो रही है लेकिन वो बूंदें सिर्फ उन्हीं नेताओं को चाटू कारों को भिगोती, गौ माता तो कष्ट झेल रही थी और झेलती आ रही है। आजकल हर तरफ कूड़े की अधिकता है इंसान का दिल और दिमाग भी कूड़े का एक ढेर मात्र बनता जा रहा है और वो कूड़ा गौ माता के लिए अभिशाप बन गया।

कूड़ा खा रही है प्लास्टिक चबा रही है,, तो फिर आखिर क्या करे वो ….??? रहने को स्थान नहीं उसके पास,, सड़कों पर बैठ जाती है तो वाहनों से कुचल दी जाती है। बूढ़ी हो जाती है तो कत्लखानों में भेजी जा रही है। चोरी से जंगलों में मांस के काटी जा रही है।चमड़े और मांस के बूचड़ खानों में उल्टी लटकाई जा रही है। आखिर कितना लिखूं ,, ऐसी वेदना जो मिट नहीं रही और दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।लोग अपनी आपसी दुश्मनी उसपर तेजाब डालकर निकाल रहे ।वो गर्भवती है उसके पेट में चाकू से वार कर रहे हैं।पेट्रोल डीजल डाल रहे हैं उनके पानी में जहर मिला रहे हैं। जिंदा गौ माता को जला रहे हैं कोई विचार धारा अपने अहम को पुष्ट करने के लिए उसे कुर्बान कर रही है। आखिर ये सब कब तक सहा जाएगा ।

मैं हिंदुओं के विषय में कुछ नहीं लिखूंगी ,लिखना व्यर्थ ही है क्योंकि हिंदू सदैव अपने अस्तित्व को भूलता आ रहा है आलसी है, स्वार्थी है , कपटी है, मन का चोर है,ढोंगी है इतिहास प्रमाण है हिंदू कितना धूर्त रहा है अपने कर्मों से अपनी लालच की भूख मिटाने के लिए उसने कितने ही महापुरुषों का अहित किया । खैर भावों का कोई अंत नहीं है वो उपजते रहते हैं। गौ माता के विषय में जितना लिखूं उतना कम ही है मैं अकेली कुछ भी नहीं कर सकती हर मनुष्य अपने कर्म को ढूंढे , की क्या सही है ओर क्या गलत । गौ माता के सेवा , व रक्षा के लिए सबको आगे आना चाहिए। जो बन पड़े करना चाहिए। यदि मनुष्य हो तो । वरना मानवता आपको अभिशाप देकर अवश्य जाएगी । जो अंत तक सबके मनों को कलुषित करेगी , आओ गौ सेवा करें , घर पर एक गौ अवश्य ही पालें उनका तिरस्कार न करें। वो देवत्व का आधार है ।अपने कल्याण की सुंदर दिखती हुई रेखा ।आओ उसे मिटने से बचाएं। शाकाहारी बनें और दूसरों को बनाएं ।जय गौ माता जय गोपाल 💃🏼💕💐🚩💃🏼🐂🙏🏻…..अभिलाषा