“स्वस्थ जीवन सुखी संसार ”
यह कहावत आज उनके ही सत्य जिनके के लिए जीवन अमूल्य है । जितनी जल्दी हम अपनी सेहत के लिए सजग होंगे उतने ही अधिक प्रफुल्लित होंगे ।
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प्रकाश का उद्देश्य अनंत को प्रकाशित करना ।मृत को प्राणवान करना । इस कविता का भाव यह है कि ओ प्रकाश यद्यपि तु प्रकाशवान है और तेरा प्रण अज्ञान रूपी अंधेरे को नष्ट करना है,फिर भी मेरे लिए तु धीरे धीरे चल ताकि मैं भी तुम्हारे साथ चल सकूं ।
संत न होते जगत में, को जानत भगवान ।
कीट श्वान बीतता,मनुज जीवन महान ।।
मौसम विभाग की पूर्व जानकारी के अनुसार हिमाचल के कई स्थानों पर भारी बारिश के संकेत।
इस जीवन को जितना सादगी से जिया जाएगा यह उतना ही प्रफुल्ल और आनंदित होगा । भोजन हमारे तन मन दोनों को प्रसन्न और सार्थक बनाने में अहम भूमिका निभाता है ।
वृक्ष ही जीवन है अब यह सत्य बात लोगों के लिए मात्र निज स्वार्थ सिद्धि के लिए प्रयोग में लाई जा रही है। वृक्षों की व्यथा कौन सुने सब आडम्बर की अटारी पर चढ़ कर बैठे हुए हैं। विकास तो सबको सूझ रहा है परंतु आंतरिक दुःख से हर कोई अनभिज्ञ है ।
प्रकृति ईश्वर का प्रकटीकरण है, इसमें भी सबसे सुंदर परमात्मा ने मानव को बनाया है,
संकल्प यदि दृढ़ है तो बाधाएं भी संघर्ष की विरोधी बन जाती हैं।अनंत के प्रेम को लगन अनंत से मिला देती है।
लोगों में बढ़ती हुई शारीरिक , मानसिक दुर्बलता का एक मात्र कारण है हमारा आहार विहार। जहां ये दोनों संतुलन में यदि आ जाएं तो सब कुछ ठीक स्वत: हो जाता है। पुराने अनाजों की ओर आईए और जीवन को स्वस्थ, सबल बनाइए।
भारत भूमि देवत्व की प्रतिमूर्ति है। यहां हम अपने आस पास के हर जीव में ईश्वरत्व के दर्शन करते हैं। उनमें एक विशेष हैं नाग देवता जिनके पूजन और अर्चन का विधान हमारे पुराणों में वर्णित है। नाग पंचमी श्रावण मास की पंचमी तिथि को पूरे भारत में अलग अलग विधाओं में मनाया जाता है।
अधर्म जब अपनी सीमा से ऊपर उठकर चलने लगता है तो परशु धारी परशुराम जैसे गुरुओं और सुदर्शन चक्र धारी भगवान श्री कृष्ण को प्रथ्वी पर आना ही पड़ता है। फिर विजय की ललकार से अधर्म क्षत विक्षत हो जाता है।
विरोध-प्रदर्शन करने वालों में INDIA गठबंधन के कई दलों के सांसद
पटना/बिहार | राजद के राज्यसभा सांसद श्री संजय यादव ने राज्यसभा में वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि जनसंख्या की दृष्टि से बिहार […]
स्वास्थ्य एक चिंतन का विषय है जिसके लिए हम सभी को अपने आप से आरंभ की आवश्यकता है। स्वास्थ्य को सबसे बड़ा धन कहा गया है।
आज के समय का मनुष्य मोह,स्वार्थ मिथ्या अहंकार में डूबकर प्रति एक कार्य कर रहा है । उसके भाषण में स्वार्थ का मिथ्यावाद है ।