संचित कर्मों का ऐसा ही पहाड़ बना हुआ है जिसमें शुभ अशुभ दोनो ही कर्म हैं
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जय सदगुरुदेव ईश् |
हमारे कर्म कितने गहरे हैं यह हम नही जानते कई ऐसे छोटे छोटे कर्म भी होते हैं जिनके भुगतान के लिये हमें दुबारा इस संसार में आना पड़े पर सदगुरुदेव भगवान नही चाहते कि हम यहां इन छोटे छोटे कर्मों की वजह से यहां आयें इसलिये ही सदगुरुदेव भगवान हमसे सेवा करवा कर इन कर्मों का भुगतान करवा देते हैं
हमारे भी संचित कर्मों का ऐसा ही पहाड़ बना हुआ है जिसमें शुभ अशुभ दोनो ही कर्म हैं जब हम गुरूवर की सेवा करते हैं मान लो किसी भी प्रकार की सेवा की तो उनमें कई रुहें ऐसी भी होती हैं जिनके हम कर्जदार हो यह हम नही जानते पर सदगुरुदेव भगवान को सब पता होता है ..
यही नही बल्कि जो भी गुरूघर की सेवा पर जाता है उसके घर वालों को भी उसका फायदा होता है, क्योंकि कुछ उस सेवक की जिम्मेदारियां भी उसके घर वालों ने ली हैं तो सेवा का फल उन्हें भी जरुर मिलना है
जब हमें पता हो जाये कि इस सेवा का क्या लाभ होता है तो हम सब कुछ छोड़कर अपने आप सेवा में लग जायेंगें सेवा बहुत अनमोल है, हमे सेवा की कद्र करनी चाहिए जब भी सेवा मिले इसे सदगुरुदेव भगवान की दया समझ कर करनी चाहिए क्या पता कौन सा कर्म कौन सी सेवा करके कट जाना है