स्वास्थ्य एक मौलिक चिंतन

आज के समय में स्वास्थ्य एक ऐसी व्यवस्थित भावना है जो एक के साथ दूसरे को भी प्रभावित कर रही है स्वास्थ्य की बिगड़ती प्रक्रिया ने 10 में से हर 9 वें व्यक्ति को जकड़ रखा है या फिर यह भी हम बात रख सकते हैं कि आज के समय कोई भी व्यक्ति स्वास्थ्य सुख से युक्त नहीं है । अच्छे स्वास्थ्य की अवधारणा में ही वे ही लोग खरे उतर रहे हैं जिन्होंने अपने बचपन से ही अपने परिवार से उन आदतों को अपने अंदर आत्म सात किया और आज तक भी 80 / 90 साल की उम्र में भी अपने स्वास्थ्य रूपी आनंद से भरे हुए हैं।

आज हमारे पूर्वजों की बात एक अक्षरश: सत्य मानी जा रही है। विज्ञान और विशेषज्ञ भी हमारे पूर्व ज्ञान को आज के लिए वरदान समझ रहे हैं।हमारी बिगड़ती जीवन शैली ने हमारे शरीर में ना जाने कितनी ही व्याधियों को जन्म दे दिया है आधुनिक खान पान कुपोषण युक्त होने के कारण हर कोई बीमारी से जूझ रहा है।

आज लोगों ने अपने पारंपरिक अनाज को छोड़कर पश्चिमी देशों से आई भोजन व्यवस्था को जब से अपनाया है तभी से हर आदमी बीमारी से पीड़ित है। तकनीकी ज्ञान ने एक ओर जहां इंसान को प्रबुद्ध और समृद्ध किया है उसकी आवश्यकताओं को बढ़ाया है वहीं उस तकनीकी विकास ने इंसान को जड़ , आलसी , निकम्मा बना दिया है। बढ़ती फास्टफुड की मांग ने जो जोर आज के समय में पकड़ा है उससे तो यही लगता है कि वो समय दूर नहीं जब लोग हर घर के 5 में से 5 ही बीमारी से ग्रसित होंगे ।

युवाओं में बढ़ती बीमारियों ने समाज के लिए चिंता का विषय बना दिया है। इन विषयों पर विचार और चिंतन अति आवश्यक हो गया है। इस के लिए आवश्यक है कि हमें अपने परिवार के हर बच्चे को परंपरागत जीवन शैली के प्रति जागरूक करें ।

उनको अच्छे स्वस्थ शाकीय भोजन के प्रति विश्वस्त बनाएं । यही एक सबसे कारगर उपाय है जिससे हम इस बढ़ती बीमारी के पैमाने को कम कर सकते हैं। स्वस्थ भोजन शैली के साथ साथ जीवन शैली में भी परिवर्तन लेकर आएं और पारंपरिक मोटे अनाज को अपने जीवन में स्थान दें। तभी संभव है कि समाज के बिगड़ते हालात को संभाला जा सके ।

लेखक : अभिलाषा भारद्वाज

Share
Published by
Abhilasha Sharma

Recent Posts