स्ववेँद

दया करें सब जीव पर देखें अंतर आत्मा त्याग देह अभिमान “ विहंगम योग कि अंतिम श्रेणी में द्रस्य शरीर को नहीं देखकर जो द्रश्य शरीर का जो अद्रस्य आधार हे इसका अनुभव होता है और साधक अपना देह अभिमान छोड़कर उस अद्रस्य आधार पर रहता हैं।
जहां से सब ऐक समान नज़र आता हे स्ववेँद कि वाणी कहती हे हरा श्वेत अरु लाल हे शीशे तीन प्रकार बाहर द्रस्य भेंद हे अक्षर उर अपार यानी बाहर जोभी दिखता हे ये सब अलग अलग रंग कि तरह हे ये कयुकि सब के कमँ गुण स्वभाव अलग अलग हे लेकिन सब का मूल श्वेत प्रकाश ऐक ही हे वह अक्षरब्रम हे इस लीये सबमे ऐक समान रहकर जो सत्ता हम सबको चला रही हे इसका दशँन करे यहा पर संदेश यही मीलता हे जो चलता हे इसे नहीं देखकर जो चलावनहार हे इसको देखना हे यही द्रस्य शरीर का अद्रस्य आधार है।
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DNTV इंडिया NEWS

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