Himachal Pradesh

साइलेंट वैली जस्टिस

प्रकृति के साथ दुर्व्यवहार करना आज के मानव के लिए एक क्रीडा पथ बन गया है और वह इस क्रीडा का महारथी अपने आप को समझने भी लगा है । पर यह महारथ हासिल करने की झूठी और बनावटी सोच उसके लिए विनाश की दहाड़ लगा रही है। वो कहते हैं ना कि जिसके साथ आप गलत सलूक करेंगे और करते रहेंगे तो एक एक दिन सहन शक्ति नष्ट हो जाएगी फिर आपको भी उसका वार सहने के लिए तैयार रहना होगा। ठीक उसी प्रकार जिस तरह से आज का मानव प्रकृति को नष्ट भ्रष्ट करने पर तुला हुआ है एक एक दिन वह सहन कर रही है जिस दिन उसकी क्षमता का पेरा मीटर आगे बढ़ गया उस दिन वह सब कुछ निगल जाएगी । सन 2020 में ऐसा ही एक क्रूर वाकिया सामने आया था जिसने सारी दुनिया को शर्म सार कर दिया था। अरे इंसान से इंसान अपनी शत्रुता निकाले तो बात भी बनती है लेकिन हम किसी बेजुबान को निहत्थे को अपनी हैवानी हवस का शिकार बनाएं तो यह तो एक दम अधर्म ही है। और सत्य ही ऐसे मनुष्य मानव कहलाने की कतई अधिकारी नहीं । 2020 में केरल राज्य जो धरती का सबसे ज्यादा शिक्षित राज्य कहा जाता है देखिए मेरे अनुसार शिक्षा आपको मानसिक पंगु बना सकती है यदि उसमें संस्कार नहीं अपने जीवन के प्रति विश्वास नहीं। शिक्षा में स्वार्थ है तो वह मात्र आपको आग लगाने की भौतिकता ही सीखा कर जाएगी । इसलिए हमारे यहां एजुकेशन नहीं ज्ञान को वितरित किया जाता रहा है, संस्कार ही ज्ञान का स्वरूप हैं । जब से संस्कार क्षीण हुए ज्ञान भी क्षण भर रह गया। शिक्षा व्यवसाय बन गई।लोग मानसिक रूप से नेत्रों से अंधे के समान हो गए आज धन के अतिरिक्त किसी को कुछ भी नहीं दिखाई देता । आज संस्कार की पाठशाला कोई भी संस्था नहीं चला रही है। सब धन कमाने की शिक्षा दे रहे हैं। यही कारण है कि लोग दिमाग से पशु और हृदय से पाषाण बनते जा रहे हैं। सद भावनाएं लुप्त हो रही हैं। केरल राज्य में एक क्षेत्र है मल्लपुर जहां एक विकृत मानसिकता ने साइलेंट वैली में एक जंगली गर्भवती हथिनी को अन्नानास में बॉम विस्फोटक रखकर खिला दिए थे वह तो बेखबर भी बेचारी, भूखी थी क्या करती …😭 उसने वह विस्फोटक भरा हुआ अन्नानास खा लिया। जब वह बेचैन हुई तो उस दर्द की पीड़ा को असहन करती हुई वह हथिनी पानी के अंदर चली गई। आखिर में तड़पते हुए वेल्लियार नदी में 27 मई 2020 को दम तोड दिया । पूरी दुनिया इस कुक्रत्य की घोर निन्दा की । खैर जिसको दर्द सहना था वह सहकर चला गया अब न्याय और अन्याय की बात रह गई। कुछ फैसले और न्याय का अधिकार मात्र उस परम सत्ता के अधीन ही होते हैं। और प्रकृति अपना न्याय चक्र जरूर घुमाती है । जो जैसा करता है वह वैसा ही फल भोगता है। हम सब प्रकृति की संतान हैं उसपर जीवन के लिए निर्भर करते हैं यदि हम उसके किसी भी अंग को क्षति पहुंचाने की कोशिश करेंगे तो दंड तो भुगतना पड़ेगा ही । और हर बेजुबान सिर्फ़ अपने अंदर के परमात्मा को ही याद करता है अपनी अर्जी लगाया करता है । ठीक वैसा ही दृश्य आज दो तीन दिन पहले देखने को मिला है। उसी केरल का मल्लपु र गांव एक प्राकृतिक आपदा (भूस्खलन) में जमी दोष हो गया है और वह व्यक्ति भी जिसने उस जीव के साथ गलत कार्य किया था आज वह भी इस दुनिया में नहीं रहा । कहते हैं ना जैसी करनी वैसी भरनी। अरे जीने का अधिकार सबको है । यह जीवन बहुत सुंदर है इसकी सुंदरता देखो जीवों से प्रेम करो उनको अपनी जीभ का स्वाद ना बनाओ नहीं तो प्रकृति आपको कभी नहीं छोड़ेगी । अहिंसा परमो धर्म: जियो और जीने दो।यही हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। लेखक : अभिलाषा

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