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भागवत कथा

शुद्ध भक्ति /गलती और “गलत” में एक छोटा सा अंतर| Gyan Ganga में पढ़े कहानिया |

“गलती और “गलत” में एक छोटा सा अंतर होता है – नीयत का। समय बहरा है किसी की नहीं सुनता लेकिन वह अंधा नहीं है देखता सब है ।

जीवन में कुछ बनना है तो विनम्र रहना सीखना चाहिए जो सिर्फ और सिर्फ शुद्ध भक्ति से ही संभव है, क्योंकि ? एक छोटे से बीज को भी जमीन के नीचे दबना पड़ता है, पेड़ बनने के लिए ।

उसीप्रकार, प्रशंसक और शुभचिंतक में अंतर देखिए – “प्रशंसक” आपकी स्थिति देखते हैं,  और “शुभचिंतक” आपकी परिस्थिति । जैसे – भूमि और भाग्य का स्वभाव एक ही है जो बोया है वह निकलना तय है ।

एक भक्त सृष्टि के उलझी वस्तु, व्यक्ति व अन्य जो कुछ भी है सभी से सावधान होकर अपने परम लक्ष्य की प्राप्ति में नित्य निरंतर लगा रहता है । किसी विकार से ग्रशित होकर उसे पाने की ज़िद न करें । जैसे – “ध्यान का अर्थ” आंखे बंद करना नहीं, बल्कि खोलना है, बंद तो पहले से ही है ।