मै अंजान था जब तेरी गलियों से गुज़रा करता था
तू मासूम था इस कदर के तुझपे सौ दिल वारने को दिल करता था।
अक्सर तेरे साथ से रोशन होता था मेरे दिल का जहां
,जला करते थे अक्सर तेरी याद में मेरे दिल के दीयों का जहां ।
बुझ जाया करती थी मेरे दिल की तम्मन्ना
जब चरागों के बुझने पर इंतज़ार होता था
सुबह होते ही तेरी शहर में डूबने का।
मिले थे अंजान रास्तों पर अजनबी बनकर
बन गए हमसफ़र दोस्ती भी के दो साथ बनकर।
मैंने सोचा नहीं था यूं आओगे मेरी ज़िन्दगी में एक दिया बनकर।
कर दोगे रोशन मेरे दिल का जहां एक लौ प्रेम की जलाकर ।
छा गए इस कदर मेरे दिल के शहर में बनकर उजाला
की हर तरफ जुगनू दिखाई देते हैं सितारे बनकर ।
बनकर दोस्ती की चाहत आप बन गए मेरे खुदा की इबादत ,
के अब हर शक्स में तेरा ही अक्स नज़र आता है ।
चाहत तो है के मै फ़ना हो जाऊं तेरी दोस्ती के लिए
मजबूर हूं के एक तू ही मुझे इजाजत नहीं देता मेरी दोस्ती के लिए ।
हुए हैं बहुत से बदनसीब जिनको मंज़िल नहीं मिली
अरे ! मै तो खुश नसीब हूं को मुझे मुहब्बत में दोस्ती मिली ।
निभाऊंगा मरते दम तेरी मेरी दोस्ती को ये वादा है मेरा,
दे जाऊंगा तुझे वक्त आने पर खुशियां सारी ये वादा है मेरा।
तू मिले ना मिले कोई शिकवा नहीं खुदा से
तू खुश रहे हर जगह ये दुआ है खुदा से ।
रचनाकार : अभिलाषा शर्मा 🌼
आरा में विहंगम योग के माध्यम से आत्मा के ज्ञान और ध्यान साधना पर जोर | Read More
धरना व्यवसायियों के हितों की रक्षा और उनके अधिकारों की आवाज बुलंद करने की दिशा में एक अहम कदम साबित… Read More
सहारा भुगतान सम्मेलन की तैयारी में जुटे नेता, पटना में 5 जनवरी को होगा बड़ा आयोजन Read More
हाईवे पर गैस टैंकर हादसा Read More
भोजपुरी को राजभाषा दर्जा देने की अपील Read More
17 जनवरी को जिला मुख्यालयों पर धरना, 15 मार्च से राज्यव्यापी सदस्यता अभियान शुरू होगा Read More