वाराणसी/ उत्तर प्रदेश| विहंगम योग संत समाज के 100वां वार्षिकोत्सव (शताब्दी समारंभ महोत्सव) में 17-18 दिसम्बर 2023 को “स्वर्वेद महामंदिर धाम, वाराणसी” अवश्य पधारें. आप का स्वागत है.
विहंगम योग संत समाज का वार्षिकोत्सव|
विहंगम योग का सिद्धांत क्या है? विहंगम योग का दर्शन क्या है? एक वाक्य में कहुँ तो यहां आत्मा की भूख मिटती है, आत्मा की प्यास मिटती है. सद्गुरु ने प्रचार का प्रारम्भ किया, किस आधार पर किया? क्या बुद्धि के व्यायाम से? नहीं ऐसा तो नहीं है. क्या हमारे प्रचार का आधार बुद्धि का व्यायाम है? क्या विहंगम योग के ज्ञान का आधार बौद्धिक व्यायाम है? विहंगम योग के ज्ञान का आधार, सदगुरुदेव के ज्ञान का आधार – उनके समाधिजन्य ज्ञान के अनुभव से है. विहंगम योग के ज्ञान का आधार सद्गुरु के समाधी का अनुभव है. सद्गुरु के परमात्मा प्राप्ति का अनुभव है. तब ये धारा चली है. तब ये प्रवाह बहा है साहेब. सद्गुरु ने अपनी आत्मा के अंदर, अपनी महान आत्मा के अंदर ब्रम्हविद्या के समस्त ज्ञान को धारण किया है, तब उसे प्रकट किया है. ये हमारे बैटरी को चार्ज कर देता है. यह पावर स्टेशन है साहेब.
इस वार्षिकोत्सव में आने मात्र से, सेवा प्रदान करने से, इस अध्यात्म की महफ़िल का आनंद लाभ लेने से क्या मिलता है? क्या हो जाता है? अरे हमारी आत्मा की भूख ही मिट जाती है. हमारी आत्मा की प्यास मिट जाती है. सदगुरुदेव कहते है कि इस समारोह में सभी शिष्यों को आना, सेवा करना यह परम अनिवार्य है, सबके लिए जो विहंगम योग से जुड़े हैं.
आत्मा को नहीं भुला सकते. विहंगम योग का यही सिद्धांत है और केवल सिद्धांत ही नहीं है, विहंगम योग कि साधना है, जिसके द्वारा हमारा जो अणु आत्मा है, उस विभु आत्मा के साथ परमानन्द के सागर में गोते लगाकर आत्मा तृप्त हो जाता है, मस्त हो जाता है साहेब.
संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज
अंतर्राष्ट्रीय विहंगम योग सोशल मीडिया प्रचार – प्रसार समूह