वायनाड का ध्वस्त होता अहम..भारत के बहुत सारे स्थान ऐसे हैं जिन्हें भारत की सांस्कृतिक पृष्टभूमि और ऐतिहासिक धरोहर के संज्ञा बद्ध किए जाते हैं।भारत एक ऐसा नाम जो अपने आप में विषद भाव प्रकट करता है ऐसा महाभाव जो हर धरती के हर कोने में बसे हुए भारतीय को आत्मीय भाव से अभिन्न रूप से जोड़ता है। भारत अपने आप पूर्ण रूप सुसंबद्ध , सुसंस्कृत उदार हृदय है । यहां की मिट्टी में प्रेम , गौरव पराक्रम , शौर्य , वीरता , कर्तव्य निष्ठा , आत्म बलिदान , विभिन्नता में एकता , भाषा की विविधता , आदि अनूठी कलाओं व सुंदर विरासतों का मेल है ।
भारत में कई विचारधाराओं के लोग एक भारत में निवास करते हैं। भारत भूमि महान है। विश्व की आत्मा है । और यही भावना स्पष्ट करती है कि भारत ही विश्व गुरु है । भारत अखंड है । परंतु आज के समय व्यवहार को देखा जाए तो ऐसा प्रतीत होता है कि सब कुछ बदल रहा है। मानवता दांव पर लग रही है मनुष्य भूल रहा है। औंधे मूढ़ से उल्टे मूंह की खा रहा है, विचार और विवेक बुद्धि लुप्त हो रही है। अहंकार के मद में ऐसा फल फूल रहा है जैसे उसे सदा ही धरती पर निवास करना है । क्या उसे ज्ञात नहीं है कितनी शक्तिशाली सभ्यताएं आईं और चली गईं । आज उनका सिर्फ़ नाम ही बाकी है निशान तो धुंधले ही बचे हैं। फिर क्यों वह अपने असली रूप को देखने का भाव अपने अंदर नहीं लाता।
कोई भी सभ्यता संस्कृति अपने संस्कारों से ही जीवित रह पाती है यदि संस्कार मर जाएं या मार दिए जाएं तो प्रलय आएगी ही । वे संस्कृति के लिए क्या करते हैं उससे प्रेम या उसका भक्षण । प्राचीन सभ्यताएं क्यों लुप्त हो गईं यह सब तो आगे की चर्चा का विषय है लेकिन इसका एक छोटा सा अनुभव यह भी हो सकता है कि उन सभ्यता ले लोगों ने अपनी संस्कृति और प्रकृति के साथ ऐसे संबंध नहीं बनाए जिससे वह अधिक काल तक के उन्नत रह पाते । आज 21वीं सदी का मानव भी शायद ऐसी गलती कर रहा है। अपने अंत को भूलकर पाप और अपराध के दायरे पार कर रहा है। वो दिन दूर नहीं जब अधिकारिक तौर पर हर क्षेत्र पानी की कमी , अनाज की कमी व अन्य प्राकृतिक संसाधनों के युद्ध करता हुआ दिखाई देगा ।
अभी कुछ समय पहले ही केरल में एक बुरी वारदात को अंजाम दिया गया जो बहुत ही निंदनीय थी । भारत एक पशु प्रधान देश है और भारत की या फिर किसी भी देश आर्थिकी उस देश के किसान और पशुओं से ही तय की जाती है। भारत एक पशु प्रधान और कृषि प्रधान देश है। भारत एक आध्यात्मिक देश है यहां की संस्कृति और सभ्यता मुख्य रूप में सत्य और सनातन धर्म को प्रतिध्वनित करती है ।
यहां के हर घर में हर दिन त्यौहार और उल्लास उमंग छाई रहती है। भारत की एक अहम आस्था गौ माता जो देवत्व की प्रतिमूर्ति है ।उसकी सेवा और अर्चना से हिंदू धर्म अपना जीवन सुफल बनाता है और अपना कर्म उसकी सेवा करके सफल मानता है ।ऐसा है हमारा भारत जहां प्रकृति और इस ब्रह्मांड के हर कण में ईश्वर को देखता है उसे भजता है ।उससे प्रेम करता है । फिर वो रूप चाहें पत्थर का ,नदियों का हो , धरती का हो , पंछियों का हो , सबमें वह परम को ही भजता है । ऐसा ही एक रूप है गौ माता हिंदुत्व की आस्था का प्रतीक है जो आज के समय में बेसहारा घूम रही है और उन लोगों का शिकार हो रही है जिनकी आत्मा मर चुकी है । जो कभी प्रेम व दया की पाठशाला गए ही नहीं। अपनी सांप्रदायिक तनाव से मुक्ति पाने की चाह में वे इतने अंधे और बहरे हो रहे हैं कि उनको बेजुबान का दर्द महसूस ही नहीं।अपनी आस्था की प्रति पूर्ति के लिए, निज के अहम भाव को पुष्ट करने के लिए वो ऐसे घृणित कार्य हर वर्ष और हर दिन करते आ रहे हैं।वह न्याय की गुहार लगाए भी तो किससे।
वायनाड में अभी कुछ समय पहले ही किसी खास अवसर पर गौ माता को सड़कों पर कत्ल किया गया और अपनी भूख मिटाई गई ।गौ मांस की तस्करी में हर रोज ना जाने कितने गौ माता को शूली पर लटकाया जाता है। सरकार चुप है । पर वह चुप नहीं बैठा उसकी कार्यवाही अनवरत है ।अभी वायनाड केरल में भयंकर तबाही देखने को मिली है । बायनाद में जिस सड़क पर गौ माताओं को कत्ल किया गया था आज वह स्थान , वो घर , रास्ते ,गलियां , दफ्तर , वाहन सब कुछ धरती में समा गया। भू स्खलन , बाढ़ जैसी भयंकर तबाही ने उस वायनाड को इस बात का अंजाम दिया की यदि आप किसी के साथ गलत करोगे बुरा करोगे तो कानूनी कार्रवाई में भले ही सेकरों साल लग जाएं पर उसकी कार्यवाही जब होती है आनन फानन में होती है । और दोषी को दोष की सजा देकर चली जाती है ।
इस साल केरला के दो केस ईश्वर ने अपने आप सुलझा दिए। पहला केस जिस अमुक व्यक्ति ने अमुक स्थान पर जंगली हथिनी का विस्फोटक खिलाकर मार डाला था।उसका भी परिणाम प्रकृति ने दे दिया है और जो इसी वर्ष वाकिया हुआ गौ हत्या का उसका भी प्रकृति ने हिसाब किताब बराबर कर दिया है। हां करती है प्रकृति न्याय जब तुम उसके साथ उसकी जान के साथ अन्याय करोगे तो तुम भूल जाते हो की वह तुम सबकी मां है । तुम उसका बाल भी बांका नहीं कर सकते।अपनी नियंत्रण सीमा में रहो।यही सारी दुनिया के लिए संदेश है । लेखक : अभिलाषा
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