रक्षाबंधन|

रक्षा बंधन हमारी सम्पूर्ण भारत भूमि की एक पवित्र सांस्कृतिक आस्था है । इस अवसर पर हर बहन अपने भाई की कलाई पर एक सूत्र बांधती हैं और अपनी रक्षा का भाई से वचन लेती हैं ।रक्षा बंधन का शाब्दिक अर्थ है रक्षा का वाचन है सुरक्षा और बंधन का अर्थ है वचन में बंधना ।रक्षा बंधन हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है इस समय हर एक बहन बड़े ही प्यार से अपने भाईयो की कलाई पर सूत्र बांधती हैं और भाई उनको उनकी आजीवन रक्षा का वचन देते हैं साथ ही उपहार उन्हें भेंट भी देते हैं।रक्षा बंधन का आरंभ सतयुग से माना जाता है।

रक्षा बंधन के संबंध में अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।एक कथा के अनुसार यह त्यौहार महराज दशरथ के हाथों श्रवण कुमार की मृत्यु से भी जुड़ा है । इस दिन सर्व प्रथम रक्षा सूत्र श्री गणेश जी को बांधना चाहिए।प्राण वायु देने वाले वृक्षों को यह सूत्र बांधा जाता है।रक्षा बंधन की एक कहानी महाभारत में द्रोपदी से जुडी है जब कौरवों की सभा में दुःशाशन द्रोदपी का चीर हरण कर रहा था तब द्रोपदी ने अपने भाई श्री कृष्ण को अपनी लाज बचाने हेतु आवाज लगाई थी उसी समय भगवान श्री ने उनकी लाज की रक्षा की।एक पौराणिक कथा में जब देव और दानवों में भयानक युद्ध हो रहा था तब देवराज इंद्र बहुत डर रहे थे तब गुरु बृहस्पति ने देव राज इंद्र की पत्नी सुची से देवराज इंद्र को कलाई में सूत्र बांधने को कहा तब जाकर देवताओं के प्राण बच पाए तब से भी रक्षा बंधन का चलन है ।

इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों की लंबी आयु की कामना भी करती हैं । एक कथा के अनुसार एक बार देवी लक्ष्मी एक महिला का वेश धारण करके राजा बलि के दरबार में पहुंचीं और राजा बलि को राखी बांध दी । तब राजा बलि ने कहा कि मेरे पास तो आपको देने के लिए कुछ भी नहीं हैं तब देवी लक्ष्मी जी अपने वास्तविक स्वरूप में आ गई और राजा से कहा की आपके पास तो साक्षात श्री हरि ही हैं ।उनको वापस दे दीजिए ।तब राजा बलि ने अपने वचन को निभाते हुए श्री हरि को उनके साथ जाने दिया जाते समय भगवान श्री हरि ने बलि को यह वरदान दिया की वे बारह मासों में चार मास पाताल लोक में बलि के यहां रहेंगे ।आओ हम सब मिलकर भाई और बहन के इस पवित्र संबंध को और भी प्रगाढ़ बनाएं ।अपनी और सभी बहनों की रक्षा का कर्तव्य निभाएं।

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Published by
Abhilasha Sharma

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