यूरिया से जीवाश्मीय ईंधन बनाने वाले कीट मर रहे हैं। आज मार्केट में हजारों तरह के केमिकल जिनमें भारी मात्रा में खतरनाक रसायन का इस्तेमाल किया जा रहा है जिनके कारण हर किसान आज आज अच्छी और महंगी उपज के लिए उनका इस्तेमाल कर रहा है।लोग मोटे पैसे बनाने के लिए अपनी फसलों में बेतहाशा इन रसायनों का प्रयोग कर रहे हैं।चमकती हुई हरी सब्जियां गहरे हरे रंग का दिखना यह कोई प्राकृतिक बात नहीं है यह मानव निर्मित उपज है जो दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है।जब से फसलों के नई तकनीकी का इस्तेमाल लोग करने लगे हैं तभी से भयानक बीमारियों ने भी जन्म ले लिया।हर किसी को लीवर ,कैंसर फेफड़ों जैसी गंभीर बीमारियों ने घेर लिया ।
करोड़पति बनने के लिए हर कोई स्वार्थ में दौड़ में शामिल है सब एक दूसरे को नष्ट करने में लगे हुए हैं । इसमें दोष किसका का है बनाने वाली कंपनी का और लोग इन कंपनी के बहकावे में आकर अपना जीवन बर्बाद करने में लगे हुए हैं।पैसे के आजकल लोग इस प्रकार के रसायनों का प्रयोग कर रहे हैं जिनके प्रयोग से सब्जी रातों रात फूलकर मोटी और विकसित हो जाती है । और मार्केट उसे फ्रेश और अच्छी समझ कर खरीद रहे हैं और बेच रहे हैं। लोग खा रहे हैं और बीमार हो रहे हैं ।तकनीकी ने काम को भले ही कम समय में आसान बनाया है परंतु उसके परिमाण कितने बुरे सामने आ रहे हैं ये तो सभी जानते ही हैं।
टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से लोग आलसी और नकारा बनने लगे हैं लोगों ने खेती छोड़कर अपने गांवों ,अपने मवेशियों को छोड़कर गायों को सड़कों पर छोड़कर जो शहरों में शरण ली हैं आज वे भले ही अच्छा जीवन जी रहे होंगे पर भविष्य में उन्हें एक दिन अपने छोड़े हुए जीवन आधार पर जरूर पछताना होगा ।
इन रसायनों ने हमारी मन और बुद्धि दोनों को जला दिया है।गरमी पैदा की है जो तनाव चिड़चिड़ापन आलस्य आदि का कारण बन रही है।ये केमिकल हमारी धरती के नेचर इंसेक्ट्स को नष्ट कर रहे हैं ।भूमि को बंजर बना रहे हैं ।तो आईए प्रकृति की ओर लौट आइए वह ही हमारी पहचान है । उसी में जीवन की आरोग्यता है संपन्नता है । खेती में देशी गोबर खाद का प्रयोग कीजिए अपने जीवन को स्वस्थ बनाइए।
लेखक : अभिलाषा शर्मा