प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में आयोजित संविधान दिवस कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर भारत के मुख्य न्यायाधीश श्री संजीव खन्ना, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश श्री बी.आर. गवई और श्री सूर्यकांत, विधि एवं न्याय मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल, भारत के अटॉर्नी जनरल और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने संविधान दिवस के मौके पर संविधान के 75 वर्षों की उपलब्धियों का जश्न मनाया और संविधान सभा के सदस्यों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने इस दिन को महत्व देते हुए कहा कि भारतीय संविधान ने न केवल लोकतंत्र को सुदृढ़ किया, बल्कि भारत की विविधता और सामाजिक समानता की रक्षा भी की।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर बाबासाहेब अंबेडकर के विचारों को उद्धृत करते हुए कहा, “संविधान केवल वकीलों का दस्तावेज नहीं है, यह एक भावना है, यह हमेशा युग की भावना है।” उन्होंने यह भी कहा कि संविधान के निर्माताओं ने समय के अनुसार संविधान की व्याख्या करने की स्वतंत्रता दी, ताकि यह एक जीवित दस्तावेज़ बना रहे, जो देश की बदलती जरूरतों के अनुसार रूपांतरित हो सके।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान ने भारत को विपरीत परिस्थितियों में भी मजबूती प्रदान की, चाहे वह आपातकाल हो या जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 का उन्मूलन। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस वर्ष पहली बार जम्मू-कश्मीर में संविधान दिवस मनाया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने सामाजिक-आर्थिक न्याय को सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को भी रेखांकित किया, जैसे बैंक खाता खोलने, पक्के घर सुनिश्चित करने और गैस कनेक्शन देने के उपाय। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में 12 करोड़ से अधिक घरेलू जल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं, जो नागरिकों के जीवन को आसान बनाते हैं, खासकर महिलाओं के लिए।
अंत में, प्रधानमंत्री ने भारतीय संविधान में भारतीय संस्कृति के प्रतीकों की उपस्थिति को उल्लेखित किया, जैसे भगवान राम, देवी सीता, भगवान हनुमान, भगवान बुद्ध, भगवान महावीर और गुरु गोविंद सिंह की तस्वीरें, जो मानवता और नैतिक मूल्यों की ओर ध्यान आकर्षित करती हैं। उन्होंने भारतीय न्याय संहिता और महिला आरक्षण विधेयक जैसे न्याय और समानता की दिशा में किए गए सुधारों पर भी प्रकाश डाला।