मन के अनंत स्वरूप

मन क्या है – ??

गूढ़ में उतरा सूक्ष्म निरीक्षण है

या आंतरिक , बाहरी सोच

जो निरंतर बिना विश्राम के अपनी क्रिया में संलग्न है ।क्या मन कोई वस्तु विशेष है ??

मन की सटीक परिभाषा क्या है ??

क्या हम या आप जानते हैं ,मन क्या है ??

मन की स्थिति क्या है ??

क्या मन कर्म रूप है ??

क्या मन व्यवहार रूप है ??

क्या मन जीवन रूप है ??

क्या मन संसार रूप है ??

क्या मन प्रकृति रूप है ???

क्या मन प्रवृति रूप है ??

क्या प्रत्यक्ष रूप है ??

क्या मन अप्रत्यक्ष है ??

क्या मन संवेदना रूप है ??

अंत में क्या मन प्राण रूप है ??

हां …अवश्य ही मन प्राण रूप ईश्वर ही है ।

मन ही परम तत्व है ।

मन ही सर्वस्व है ।

मन ही कारण है और

मन ही निवारण है

मन ही आवरण है और

मन ही दर्पण

गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं

मन: एव मनुष्यानाम कर्म बंधन मोक्ष कारनयो।।

अर्थात् मन ही बंधन मोक्ष का कारण है।

रचनाकार : अभिलाषा शर्मा

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Published by
Abhilasha Sharma