जयंती

भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर की 137वीं जयंती पर श्रद्धांजलि

आरा / भोजपुर | भोजपुरी के महान लोक कलाकार भिखारी ठाकुर की 137वीं जयंती के अवसर पर बड़हरा, भोजपुर में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम पूर्व प्रधानाचार्य राम ईश्वर राय स्मृति सभागार, कोल्हरामपुर गांव में आयोजित हुआ, जिसमें विद्वान कवि, साहित्यकार, मीडिया और ग्रामीण जनता की उपस्थिति रही।

मुख्य आकर्षण:

  • राजाराम सिंह ‘प्रियदर्शी’ का संबोधन: अध्यक्षता कर रहे राजाराम सिंह ‘प्रियदर्शी’ ने भिखारी ठाकुर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला, उनके साहित्यिक संघर्षों की सराहना की।
  • उमेश कुमार ‘सुमन’ की प्रेरणा: गोप गुट अराजपत्रित कर्मचारी संघ भोजपुर के जिला सचिव उमेश कुमार ‘सुमन’ ने भोजपुरी बोलने, लिखने और पढ़ने की प्रेरणा दी।
  • सुरेन्द्र शर्मा विशाल का गीत: भोजपुरी के महान कवि एवं गीतकार सुरेन्द्र शर्मा विशाल ने “काहे भूली गइल माई के दुलार बबुआ” गीत से महफिल में चार चांद लगाए।
  • सी.पी. चक्रवर्ती का भाषण: भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग करते हुए प्रदेश महासचिव, राजद पंचायती राज प्रकोष्ठ, बिहार, सी.पी. चक्रवर्ती ने भिखारी ठाकुर के योगदान की सराहना की।
  • प्रो. विजय जी और डॉ. वीरेंद्र कुमार शर्मा का योगदान: प्रो. विजय जी ने भिखारी ठाकुर के समाज सुधारक पहलुओं पर प्रकाश डाला, जबकि डॉ. वीरेंद्र कुमार शर्मा ने उनकी जीवनी और हिंदी साहित्य में योगदान की चर्चा की।
  • अन्य वक्ताओं की उपस्थिति: दाउदपुर, दानापुर से आए हिंदी, मगही भोजपुरी के जन कवि अनील कुमार ‘सुमन’ ने भिखारी ठाकुर के जीवन और रचनाओं पर विशेष प्रकाश डाला। मानवाधिकार कार्यकर्ता मंजू कुमारी, प्रो. सियामती राय, प्रो. ब्रजेश कुमार ने भी भिखारी ठाकुर की महानता पर अपने विचार व्यक्त किए।

अन्य गतिविधियाँ:

  • कविता पाठ: शिक्षक नीरज कुमार, पूर्व मुखिया विजय कुमार राय, काशीनाथ प्रसाद, सच्चिदानंद राय, सुनील कुमार, शंकर भगवान शर्मा ने अपनी-अपनी कविताओं से कार्यक्रम को समृद्ध किया।
  • स्मारक की मांग: सभी उपस्थित लोगों ने जिला प्रशासन और राज्य प्रशासन से मांग की कि कोईलवर बबुरा पथ को लोककलाकार भिखारी ठाकुर पथ घोषित किया जाए।

इस अवसर पर मालती देवी, पूर्व जिला परिषद सदस्य, विनोद राय, अजय राय, पूर्वी बबुरा पंचायत के सरपंच रामा शंकर राय सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

इस कार्यक्रम ने भिखारी ठाकुर के योगदान को याद करते हुए भोजपुरी भाषा और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन की आवश्यकता को रेखांकित किया।

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