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ज्ञान की बात

भुखमरी {आज की कवता } Abhilasha Bhardwaaj

आज हर तरफ भुखमरी देखि है मैंने 
आँखों में पानी दर्द में सनी लाचारी देखी है मैंने 

बेजुबानों की बात तो छोड़ ही डालो 
जुबान भी रोटी को तरसती देखि है मैंने 

इंसानों की चाँद बस्तियां भले ही रंगीन हो रही हैं 
आज भी सभ्यता में  बेबस हड्डियाँ जलती देखि हैं मैंने 

अमीर की होड़ में धक्का मुक्की में चोट ही खा रहे हैं लोग 
रास्तों पर रातों को सूखी आँखों को जागते देखा है मैंने 

क्योँ गरीबी का डाह मेरी आँखों को तपन से झुलसाता है 
ऐसा तो वीरान हाल मेरे भारत का कभी देखा नहीं मैंने 

अभिलाषा {मेरी कलम मेरी अभिव्यक्ति }