जयंती

भिखारी ठाकुर स्मृति सम्मान और भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता का संकल्प

भिखारी ठाकुर लोकोत्सव 2024 का भव्य समापन और भोजपुरी संयुक्त संघर्ष मोर्चा का गठन

आरा / भोजपुर |( सरदार पटेल बस पड़ाव ) भिखारी ठाकुर लोकोत्सव 2024 का 24वां संस्करण इस साल एक ऐतिहासिक और उत्साहपूर्ण समापन के साथ संपन्न हुआ। तीन दिनों तक चले इस सांस्कृतिक महोत्सव ने भोजपुरी भाषा और संस्कृति के सम्मान और संवर्धन के प्रति एक नए संकल्प को जन्म दिया। समापन समारोह में भोजपुरी संयुक्त संघर्ष मोर्चा का गठन किया गया, जिसका उद्देश्य मातृभाषा भोजपुरी को सम्मान और संवर्धन के लिए निर्णायक संघर्ष करना है।

संघर्ष मोर्चा का गठन

भोजपुरी के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से गठित इस मोर्चे में विभिन्न क्षेत्रों के भोजपुरीसेवी शामिल किए गए हैं, जिनमें रांची से नवीन सिंह, गोरखपुर से नंदलाल मणि त्रिपाठी, छपरा से उमाशंकर साहू, आरा से पत्रकार नरेंद्र सिंह और अन्य सम्मानित व्यक्ति शामिल हैं। इस मंच के माध्यम से भोजपुरी भाषा के संवैधानिक अधिकारों की लड़ाई लड़ी जाएगी, और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भोजपुरी को उसका उचित स्थान मिले।

भिखारी ठाकुर स्मृति सम्मान

समारोह में भिखारी ठाकुर सामाजिक शोध संस्थान द्वारा भिखारी ठाकुर स्मृति सम्मान सांसद सुदामा प्रसाद को उनके भोजपुरी भाषा और संस्कृति के लिए किए गए योगदान के लिए प्रदान किया गया। इस सम्मान के अलावा, भिखारी ठाकुर सांस्कृतिक मंच ने अन्य वार्षिक सम्मानों का भी वितरण किया। गोरखपुर की लोकगायिका अंकिता पंडित को विशेष सम्मान दिया गया, और रंगकर्मी अंबुज कुमार, युवा पत्रकार बंटी भारद्वाज, साहित्यकार जनार्दन मिश्र समेत कई प्रमुख व्यक्तियों को भी उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और उत्सव का आनंद

सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भोजपुरी लोकगायकी की महक भी बिखरी। गोरखपुर की लोकगायिका अंकिता पंडित ने अपने शिव भजन और अलचारी के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। वहीं, कमलेश व्यास ने भिखारी ठाकुर रचित गीतों और देवी पचरा से उपस्थित सभी को भावविभोर किया। इन प्रस्तुतियों ने समारोह में एक अलग ही रंग भर दिया और दर्शकों को भोजपुरी संस्कृति से जुड़ा एक गहरा एहसास कराया।

भविष्य के लिए आश्वासन और योजनाएँ

आयोजन सचिव रवि कुमार सूरज ने इस महोत्सव के अगले वर्ष, यानी 2025 में होने वाली रजत जयंती को लेकर आश्वासन दिया कि वह इसे और भी भव्य तरीके से मनाएंगे। साथ ही, इस मौके पर एक स्मारिका का पुनर्प्रकाशन भी किया जाएगा। सांसद प्रतिनिधि दिलराज प्रीतम ने भी मंच से यह आश्वासन दिया कि वे शैलेन्द्र स्मारक के लिए हर संभव सहयोग प्रदान करेंगे।

अंतिम शब्द

इस महोत्सव ने यह सिद्ध कर दिया कि भोजपुरी भाषा और संस्कृति के प्रति लोगों का समर्पण दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। अगले वर्ष लोकोत्सव की रजत जयंती का आयोजन और स्थानीय क्षेत्र में भिखारी ठाकुर की पेंटिंग लगाने के प्रस्ताव ने इस आयोजन की महत्ता को और भी बढ़ा दिया। इस आयोजन में शामिल सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र सिंह ने किया।

भिखारी ठाकुर लोकोत्सव 2024 न केवल भोजपुरी भाषा और संस्कृति के सम्मान का प्रतीक था, बल्कि यह एक कदम था उस दिशा में, जहां भोजपुरी को उसका rightful place मिलेगा।

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