आरा/भोजपुर। 21 अगस्त को भिखारी ठाकुर सांस्कृतिक मंच पर स्थापित भारत रत्न शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की प्रतिमा पर सामूहिक माल्यार्पण के पश्चात उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
खां साहब की पुण्यतिथि कार्यक्रम का संचालन भिखारी ठाकुर सामाजिक शोध संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष पत्रकार नरेंद्र सिंह ने किया।
भिखारी ठाकुर सामाजिक शोध संस्थान के बैनर तले आयोजित विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ रंगकर्मी चंद्रभूषण पांडे ने कहा की खां साहब अपने नामाकुल अल्लाह/ईश्वर की राह पर चलते अपनी शास्त्रीयता के बल पर राज प्रासदो में सिमटे हुए वाद्य यंत्र शहनाई को विश्वस्तर तक पहुंचाया।जिस बल पर इस महान भोजपुरिया ने भारत रत्न प्राप्त किया जो अनुकरणीय है।हमारी पीढ़ी को इस वाद्ययंत्र शहनाई वादन को संरक्षित करने पर भी विचार करना चाहिए।
सीनियर सिटीजन एंड वेलफेयर के राष्ट्रीय अध्यक्ष धीरेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा की खां साहब 1916 से 2006 तक शहनाई को कई तरह से ख्याति प्राप्त कराया।इस परंपरा को उनके परिवार के लोग आज भी समाज के बीच प्रस्तुत कर समाज को लाभांवित कर रहे हैं। मनोचिकित्सक डॉ अरविंद राय ने उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा की वे आजीवन शहनाई वादन का कार्य मंदिरो और मस्जिदों में शोध कार्य के रूप में करते रहे। इसलिए इनकी जन्मतिथि हो या पुण्यतिथि उक्त अवसरों पर शहनाई वादकों की प्रतियोगिता आयोजित किया जाना चाहिए ताकि अब की पीढ़ी का रुझान इस ओर ज्यादा से ज्यादा हो सकें।
माल्यार्पण सह विचार गोष्ठी कार्यक्रम में उमेश कुमार सुमन,रिटायर्ड बीडीओ राम कुमार राय,जनहित परिवार के अतुल प्रकाश,प्रशांत कुमार, हरेराम सिंह,दिनेश मिस्त्री,गांधी जी ,गौतम कुमार आदि ने अपनी अपनी सहभागिता निभाई।
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