संस्मरण| चिलहर गाँव का-चिलहर गाँव में एक बहुत पुराना पीपल का वृक्ष था ! उस वृक्ष पर एक बहुत भयंकर कोबरा साँप रहता था। उसके पास किसी को जाने का हिम्मत नहीं होता था। ग्रामीणों एवं राहगीरो को काफी परेशान होना पड़ता था। एक दो बार सपेरा को भी बुलाया गया था ! मगर कोई फायदा नहीं । इसी बीच सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज चिलहर गाँव गये। उस समय खेती वारी का समय था। उस साँप के डर से कोई भी आदमी रात को बाहर नहीं निकलता था। उस दिन वह साँप गाँव के दक्षिण बगीचे में दिन में ही दिख गया।
गाँव के लोग सोचे कि आज इसका काम तमाम ही कर देते हैं। सभी लोग भाला, गंडास,डंडा लेकर जाने लगे। स्वामी जी भीड़ एवं हल्ला सुनकर उधर गये। स्वामी जी ने उनलोगों को समझाया कि इसे मारना नहीं है। यह भी एक जीव है तथा किसी को कुछ बिगाड़ा नहीं है। व्यर्थ में ही आप लोग इससे डरते हैं । गाँव के लोगों ने कहा कि महाराज इसके डर से हमलोगों को बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। आखिर हमलोग कब तक डरते रहेंगे। काम-धन्धा सब चौपट हो गया है। स्वामी जी ने कहा कि ठीक है !
इस साँप को मैं बाहर कर देता हूँ। स्वामी जी जोर से आवाज लगाकर कहा कि नागराज अब चलो मेरे साथ। सभी लोग किनारे होकर तमाशा देखने लगे। स्वामी जी की वाणी सुनते ही वह भयंकर नागराज स्वामी जी के पीछे लग गया। गाँव के लोग आश्चर्य से देखते रहे। साँप पीछे-पीछे चलता रहा। स्वामी जी उस नागराज को दूर जंगल मे ले जाकर छोड़ दिया। सद्गुरु देव भगवान की जय होl
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