आकांक्षाएं थमी तो
हर कदम आगे बढ़ने लगे
सितारों के टूटने से
उम्मीद के सवेरे होने लगे
इच्छाएं नभ को छूने की
अंतर्मन से बात करने लगे
आकाश के मित्र बनकर
बिन पंखों के उड़ने लगे
रात के पहर में
सारे सितारे
जुगनू बनकर टिमटिमाने लगे
ये कैसा अजब सवाल है
हम स्वयं ही उत्तर बन ने लगे
अब दूर नहीं मंजिल
तेरे ख्वाब तेरा हौंसला तेरा बन ने लगे
क्या नभ का क्या सितारे
सब मेरे साथ चलने लगे
मेरे आसमां का नाम मेरा पिता है
दूर अंधेरे में छटे प्रकाश भाव होने लगे
जीवन एक अधूरी कल्पना
अधूरी स्वांस में पूर्ण शून्य होने लगे
आदि अनंत ब्रह्माण्ड यात्रा
दृढ़ संकल्प यात्रा पर
तेरे कदम चलने लगे
रचनाकार :अभिलाषा शर्मा 💝