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बीसीए में चल रहा है कास्ट और कैडर का खेल / पदों का लालीपाप दिखा इस्तेमाल किये जा रहे हैं पूर्व और वर्तमान पदाधिकारी|।मनोज।

बिहार क्रिकेट संघ में क्रिकेट की जगह सत्ता में बने रहने के लिए कास्ट और कैडर का खेल चरम पर है । वर्तमान में जैसी परिस्थिति है उसमें अध्यक्ष खेमा आगामी चुनाव को ध्यान में रख जिला इकाइयों को पदों का लॉलीपॉप दिखा दिखा मनमानी को बल दे रहा है। नतीजतन बिहार में क्रिकेट की जगह विवाद परवान चढ़ रहा  । बीसीए में क्रिकेट की जगह न्यायालय का हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है ।
जहां तक बिहार क्रिकेट संघ के कोषाध्यक्ष आशुतोष नंदन सिंह का सवाल है एक लंबे समय तक अध्यक्ष खेमा के साथ रहे और उनके तमाम फैसलों में कदम कदम सहभागी बने । लेकिन उनके साथ भी अबतक कास्ट और कैडर का व्यवहार ही अपनाया गया । बीसीए सूत्रों की माने तो श्री सिंह पूर्व सचिव रविशंकर प्रसाद सिंह के खेमे से आते हैं इसका खामियाजा उन्हें अध्यक्ष की नजरों में बार-बार झेलना पड़ा। क्योंकि समान कास्ट और एक कैडर होने का डर बीसीए अध्यक्ष के जेहन में काबिज रहने से आशुतोष नंदन कभी भी उनके विश्वासी खेमे के सदस्य नहीं रहे। यह ठीक है कि काम के समय आशुतोष नंदन की पुछ बढी और प्यार दर्शाया गया लेकिन सही मायने में यह स्नेह  दिखावा और बनावटी  था जो बीसीए की तिजोरी से पैसा उगलने के लिए चाभी का काम आता था। कमोबेश ऐसा ही व्यवहार जिला प्रतिनिधि संजय सिंह के साथ भी होता रहा है। हालांकि जिला प्रतिनिधि को बिहार में बड़े पद का सब्जबाग दिखाकर बहुतेरे दिन काम तो लिया गया मगर जब पद पर सुशोभित करने की बारी आई तो अनदेखी का अँगूठा दिखा दिया गया । इसके अलावा बहुतेरे ऐसे मामले हैं जिसमें पदों का सब्जबाग दिखा दिखा कर लोगों का इस्तेमाल किया गया । जिसमें बीसीए के पूर्व सचिव अजय नारायण शर्मा , रवि शंकर प्रसाद सिंह, लीगल एडवाइजर जगरनाथ सिंह, पूर्व सचिव बेगूसराय संजय सिंह, मौजूदा सचिव मोतिहारी ज्ञानेश्वर गौतम आदि कई नाम है जिन्हें अध्यक्ष खेमा ने बीसीए में बड़े बड़े पद का जुबानी लॉलीपॉप थमाया मगर समय के हिसाब से यूज एंड थ्रो का व्यवहार ही सामने आया ।अब तो यह भी चर्चा है कि अध्यक्ष कुछेक पिच्छलगू जिला सचिवों को एम एल सी बनाने का दिलासा दे रहे हैं। पूर्व में तीन अगड़ी जाति के सदस्यों को सचिव पद का दिलासा दिया और अब एक पिछड़ा समाज के जिला सचिव को बीसीए सचिव का मौखिक लालीपाॅप दिया गया है। कुछ ऐसे ही खेल पदाधिकारी बनाने से लेकर चयन समिति के गठन तक में खेला गया है। अवसर के हिसाब से आदमी का इस्तेमाल जारी है। ऐसे में जिनको डर है साथी बनें हैं जिन्हें समझ आ गयी वो बागी बन गये। फिलहाल बिहार क्रिकेट संघ में बवाल का यही मूल कारण बन गया है।