बांग्लादेश हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: उल्फा कमांडर परेश बरुआ की मौत की सजा आजीवन कारावास में बदली
ढाका: बांग्लादेश हाईकोर्ट ने बुधवार को उल्फा (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम) के प्रमुख परेश बरुआ की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। यह फैसला 2004 के बड़े हथियार तस्करी मामले से जुड़ा है, जिसमें भारतीय उग्रवादी समूहों को हथियार सप्लाई किए जाने की योजना थी।
2004 में, बांग्लादेश पुलिस ने चटगांव में हथियारों से भरे 10 ट्रक जब्त किए थे। जांच में खुलासा हुआ कि ये हथियार भारतीय उग्रवादी संगठन उल्फा को सप्लाई किए जाने थे। 2014 में इस मामले में 14 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी, जिनमें बांग्लादेश के पूर्व गृहमंत्री लुफ्तोज्जमां बाबर और उल्फा कमांडर परेश बरुआ शामिल थे।
उसी मामले में दोषी ठहराए गए बांग्लादेश के पूर्व गृहमंत्री लुफ्तोज्जमां बाबर और पांच अन्य आरोपियों को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया। बाबर के वकील ने इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” करार दिया और अदालत के फैसले का स्वागत किया।
यह मामला भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय उग्रवादी संगठनों और उनकी गतिविधियों से जुड़ा है। परेश बरुआ, जो अब भी फरार हैं, उल्फा के एक गुट ULFA-I के प्रमुख हैं और भारत सरकार के साथ 2023 में हुए शांति समझौते का हिस्सा नहीं बने थे।
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्ते मजबूत हुए थे। हसीना सरकार ने भारत के पूर्वोत्तर में सक्रिय उग्रवादी समूहों पर कार्रवाई कर भारत के साथ बेहतर सहयोग स्थापित किया। लेकिन हालिया राजनीतिक बदलाव और हाईकोर्ट के इस फैसले से दोनों देशों के बीच रिश्तों में नए तनाव की संभावना बढ़ सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश में सरकार परिवर्तन और अदालत के इस फैसले से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में उग्रवादी गतिविधियों को लेकर नई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।
भारत और बांग्लादेश के बीच सामरिक और कूटनीतिक रिश्ते बनाए रखना दोनों देशों के लिए जरूरी है। सुरक्षा और सहयोग के मोर्चे पर संवाद को प्राथमिकता देते हुए दोनों देशों को साझा रणनीति पर काम करना होगा।
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