भोजपुर | भारत मे ग्लैमरस की होड़ युवाओं से क्या कुछ नही करवाती है साफ तौर कहना मुश्किल है। टीवी पर दिखने की दिलचस्पी बहुत होता है इसके लिए नानाप्रकार के हथकंडे व तौर तरीकों को अपनाते है। जब सारे प्रयासों के बजूद भी कुछ हाथ नही लगता है तो पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना रुख करते है लेकिन यहां भी मीडिया कोर्स यानी कि journalism and mass communication की जरूरत होती है।
भारत मे हजारो अखबारों और मैग्जीनों और चैनले होते हुये भी इलेक्शन के दौर जब आते है तो न जाने कितने और बढ़ जाते है। लेकिन कभी इस तरह का प्लान के साथ सायद ही कोई अखबार, या मैगजीन या चैनल आया होगा जो आमलोगो के बीज प्रेस की आई कार्ड बेच कर पैसा कमाना चाहा हो।
जी हा…..भोजपुर जिला के आरा शहर में–
एक अखबार को देखा जा रहा है जो दिल्ली से चलकर कई अन्य राज्यों सहित बिहार में भी अपना पैर फैलाना सुरु कर दिया है। और आमलोगों को बड़ी ही आसानी से बेकूफ़ बना कर पैसा बना रहा है।
आमलोगों के बीच पहुचने का माध्यम अखबार है जिसे बेचने के लिये लोगो के पास जाया जाता है और एक साल में लगभग 24 अखबार देने का लगभग 3000 रुपये मांगे जाते है साथ ही साथ प्रेस का आई कार्ड, गाड़ियों पर लगाने के लिये स्टिकर जिस पर प्रशासन का कलर ऊपर में क्राइम ब्रांच का लोगों के साथ ही बोल्ड अक्षर में प्रेस लिखा हुआ और एक सफेद रंग का बैच जिस पर बोल्ड अक्षर में प्रेस लिखा हुआ दिया जाता है| इतना सारा पावर के साथ-साथ पैसा भी कमा सकते है। अब जरा सोचिए इतने सारे कुछ घर बैठे ही मिलने लगे तो लोग क्यों नही अखबार खरीदेंगे। भोजपुर जिला में न जाने कितने लोगो को ठगी का शिकार बनाया गया और बनाया जा रहा है| ये रोजगार पहले तो 1500 रुपये से शुरू की गाई थी | अब लोगो की बेकूफ बनाने की कामयाबी को देखते हुए अब कीमत बढ़ा कर 3000 तिन हजार रुपये तक अशुले जा रहे है |–
आपको बता दू की आज के इस दौर में हर कोई रुकावट को ना पसन्द करने के मजबूर और प्रशासन पर अपना धौश दिखा कर निकलना चाहते है व दबंगता भरी जिन्दी जीना चाहता है इसलिए मीडिया का साइन बोर्ड व आई कार्ड अपनाने के लिए आतुर है बस कही से भी कोई भी संस्थान से प्रेस का कार्ड और गाड़ी पर स्टीकर लगाने के लिए मिलजाए| बस स्टीकर और आई कार्ड घर बैठे कही से मिल जाये| चाहे फर्जी की क्यों न हो | ऐसे में समझने वाली बात यह है कि ये किसको गुमराह कर रहे है आम आदमी को या प्रशासन को।
नेटवर्किंग अखबार बेचने का और दे रहे है प्रेस का सामग्री, और स्लोगन दिए है भ्रष्टाचार विरोधी मोर्चा का। इस पर सवाल है कि डिजिटल इंडिया में इतनी आसानी से ही पत्रकार बना जा सकता है तो पत्रकारिता की कोर्स के लिए इंटिटूशन्स का क्या काम। जिला प्रशासन के नाक के निचे इतनी बड़ी धांधली आने वाली समय में आक्रामक रूप लेले इससे पहले प्रशासन को उचित कार्यवाही की आवश्यकता दिख रही है|