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सद्विचारों की सतत बहने वाली गंगोत्री| भाव
१८ अक्टूबर २०२४ शुक्रवार-‼️
-कार्तिक कृष्णपक्ष प्रतिपदा २०८१-
अधर्म जब अपनी सीमा से ऊपर उठकर चलने लगता है तो परशु धारी परशुराम जैसे गुरुओं और सुदर्शन चक्र धारी भगवान श्री कृष्ण को प्रथ्वी पर आना ही पड़ता है। फिर विजय की ललकार से अधर्म क्षत विक्षत हो जाता है।
हमारे आचरण और रहन-सहन में और भी ऐसी अनेक छोटी-बड़ी खराब आदतें शामिल हो गई हैं…
