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पत्रकारों पर जानलेवा हमला लोकतंत्र के लिए ख़तरा। पढ़े पूरी खबर।

वैसे तो बड़े शहरों से इतर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में पत्रकारों की जान पर अधिक जोखिम है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरों के आंकड़ों के मुताबिक साल 2015 से लेकर अब तक करीब 142 पत्रकार हमलों का शिकार हो चुके हैं। वहीं साल 1992 से लेकर 2016 के बीच करीब 70 पत्रकार मारे गए थे। उनमें से कुछ स्वतंत्र पत्रकार भी शामिल थे।
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स का कहना है कि दुनिया भर में पत्रकारों और स्वतंत्र मीडिया पर दबाव बढ़ रहा है। प्रेस की आजादी पर संस्था की अंतरराष्ट्रीय सूची में भारत तीन स्थान नीचे लुढ़क कर 136वें पर है। इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 2017 में मारे गये पत्रकारों की संख्या पिछले 14 साल में सबसे कम है। वैसे, भारत के संदर्भ में ऐसी स्थिति नहीं है. पिछले साल के मुकाबले इस साल मारे जाने वाले मीडियाकर्मियों की संख्या बढ़ी है। सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों के लिए मुश्किलें बढ़ी हैं।
फुटेज, पत्रकार की छतिग्रस्त बाइक।

कोतवाली देहात के अंतर्गत शेखपुरा कदीम चेक पोस्ट गया फिरोजपुर में कुछ पत्रकार नाथीराम के घर पर बैठे हुए थे पत्रकारों के वाहन नाथीराम के घर के बाहर सड़क पर खड़े हुए थे देखते देखते एक गांव का दबंग युवक हेमंत पुत्र सुरेंद्र निवासी फिरोजपुर अपने फार्मट्रेक ट्रेक्टर बोगी लेकर आया जो गन्नों से भरी हुई थी दबंग युवक ने अपनी दबंगता दिखाते हुए बिना किसी सूचना दिए पत्रकारों के वाहनों पर तेजी से ट्रैक्टर चढ़ा दिया जिससे वाहन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए ।

फुटेज, पत्रकार की छतिग्रस्त बाइक।

उसके तुरंत बाद दबंग युवक ट्रैक्टर को दोबारा से वापस लाया और अपनी दबंगता दोबारा से दिखाते हुए उन्हीं वाहनों को कुचल दिया जिस पर पीड़ित पत्रकारों ने उस दबंग युवक को रोकने की कोशिश की तो उसने पत्रकारों को गाली गलौज करते हुए जान से मारने की धमकी दे डाली और ट्रैक्टर से पत्रकारों को भी कुचलने चलने की कोशिश की  पीड़ित पत्रकारों ने युवक का सामना करते हुए किसी तरह से अपनी जान बचाई। और इसकी सूचना कोतवाली देहात थाना इंचार्ज पवन चौधरी दिया गया। पत्रकारो की शिकायत पर थाना प्रभारी द्वारा तत्काल एक्शन लिया गया है। इस तरंग के कई घटनाएं पत्रकारो के साथ घटता रहा है और पत्रकार धरना प्रदर्शन तो रैली व काला बिला लगा कर सरकार का विरोध और मांग करते रहे है। लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम व कार्यवाही नही किया गया है। जिससे आमलोगों के बीच सामंजस्य बना रहे। ऐसे में तत्काल की घटना का ठोस कार्यवाही नही हुई तो इसका असर अंतत्वगत वोट पर भी पड़ सकता है। और राजनीतिक दलों के लिए किरकिरी करने का विकल्प होगा।

जॉर्नलिस्ट गौतम कुमार गुप्ता।

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