पटना/बिहार | वैश्य समाज की उपेक्षा भाजपा और एनडीए का मंत्रिमंडल में विस्तार | Ranvijay Sahu

नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में मुसलमान प्रतिनिधित्व को नगण्य रखकर  भाजपा के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं | एजाज अहमद 

बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के प्रधान महासचिव रणविजय साहू ने कहा कि बिहार मंत्रिमंडल के विस्तार में एनडीए और भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह से अवसरवादिता और वैश्य समाज की उपेक्षा की है उससे स्पष्ट  होता है कि इन लोगों की नीतियां रही हैं इस्तेमाल करो फेंक दो की राजनीति , वह आज स्पष्ट रूप से दिखा ।और वैश्य समाज को इस बार मंत्रिमंडल में पूरी तरह से उपेक्षित रखा गया और उनके साथ सौतेलेपन का व्यवहार किया गया है।

 इन्होंने आगे कहा कि एनडीए और भारतीय जनता पार्टी ने पहले भी वैश्य समाज को पूरी तरह से ही दरकिनार करके छलावा और धोखा की राजनीति की है। और वैश्य समाज का  तो‌ वोट ले लेती  है, लेकिन कभी भी उचित प्रतिनिधित्व नहीं देती है । 

       इससे पहले जहां मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री वैश्य समाज के हुआ करते थे, लेकिन इस बार वैश्य समाज को पूरी तरह से अलग-थलग कर दिया गया है ,और इस बार 21 लोगों ने मंत्रिमंडल में शपथ ली है उसमें वैश्य समाज का प्रतिनिधित्व मामुली  और न के बराबर है ।जबकि सबसे अधिक वैश्य समाज भाजपा  के पक्ष में खड़ा रहता है।

 श्री साहू ने आगे कहा कि  एनडीए और भारतीय जनता पार्टी वैश्य समाज को राजनीतिक रूप से अपना बंधुआ मजदूर समझती है।और उनके प्रति कभी भी राजनीतिक सम्मान का भाव नहीं रखती है ,यह स्पष्ट रूप से पहले भी दिखा और इस बार तो भागीदारी न  के बराबर ही कर दिया गया है। आने वाले समय में भारतीय जनता पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना होगा, जबकि बिहार में महागठबंधन सरकार में राष्ट्रीय जनता दल और तेजस्वी प्रसाद यादव ने वैश्य समाज को उचित प्रतिनिधित्व दिया था और राष्ट्रीय जनता दल ने वैश्य समाज के प्रति जो सम्मान का भाव दिखाया ,वह मंत्रिमंडल से लेकर के पार्टी संगठन तक में दिखता रहा। आज ना तो भाजपा के संगठन में वैश्य का सम्मान है और ना ही मंत्रिमंडल में। भाजपा की ऐसी नीति कहीं ना कहीं वैश्य समाज को ठगने और उन्हें राजनीतिक हित में इस्तेमाल करने की रही है। 

 वहीं दूसरी और राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का मुस्लिम मुक्त मंत्रिमंडल का जो सपना रहा है,उसे नीतीश कुमार ने  भी आगे बढ़ाने का काम किया है और इस बार बिहार में मंत्रिमंडल में 30 में सिर्फ एक मुसलमान को प्रतिनिधित्व दे कर ऊंट के मुंह में जीरे के समान प्रतिनिधित्व दिया है । जिससे यह स्पष्ट होता है कि नीतीश कुमार अब भाजपा के एजेंडे के मुताबिक और ध्रुवीकरण की राजनीति को  मजबूती प्रदान कर रहे हैं,और अपनी सत्ता  बचाने के लिए  इसे आगे बढ़ा रहे हैं और मुसलमान की उपेक्षा करके उन्होंने  यह स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा की जो सोंच है मुस्लिम मुक्त राजनीति की उस दिशा में नीतीश मंत्रिमंडल का आज स्वरूप दिखा और उसे नीतीश कुमार आगे बढ़ रहे हैं।

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