नित्य अनादि सदगुरु श्री कबीर साहेब ने अपने प्रमुख ग्रन्थ बीजक में यह महत्वपूर्ण उपदेश दिया है, इस पृथ्वी के मानव मात्र को इन पर चिन्तन–मनन करते हुए उचित मार्ग पर चलना चाहिए– हे मनुष्यों! शिवादि देव एवं अनेक ऋषि–मुनि; सदगुरु हीन होने से सत्य वस्तु का भेद नहीं पाये । उसी पदार्थ को मैं अब तक सत्य निर्भ्रान्त समझता हूँ ।
मेरे कहे हुए सत्य मार्ग से जो नियमपूर्वक अभ्यास करेगा, वह निर्मल सन्त षट मास में ही सत्पुरुष महाप्रभु का दर्शन पायेगा । मैं उसी उत्तम अनुरागी सच्चे विरही जीव को किसी न किसी रूप से अपना दर्शन दे बोध कराता हूँ । सन्सार में अपने गुप्त रहते हुए भी उस अनुरागी पुरुष की आत्मा में अनुभव विकास कर देता हूँ और वह बोध पाकर शान्त स्थिर होता है ।
भाव यह है कि कोई बड़े से बड़े विद्वान क्यों न हो, जब तक मेरे सिद्धान्त को स्वीकार नहीं करेगा, इसके अनुकूल अपना जीवन नहीं बनाएगा, तब तक वह सन्सार सागर से तर नहीं सकता है । शिव, ब्रह्मादि, ऋषि–मुनि मेरे उपदेश बिना ही अब तक तत्त्वार्थ आवागमन में पढ़े हुए हैं । कबीर साहेब का भाव यह है कि बिना मेरे उपदेश के कोई बोध नहीं पा सकता । मैं दो तरह से अनुरागी पवित्र आत्माओं को बोध कराता हूँ । एक आप स्वयं प्रकट होकर उपदेश करता हूँ और दूसरा किसी विरही आत्मा के अन्दर ही अनुभव प्रकाश करके सर्व तत्त्वों का बोध करा देता हूँ । वे दोनों प्रकार की बाधिक आत्मायें, मेरे सच्चे हंस मेरे उपदेश–नियम के अनुकूल अभ्यास करके छव मास में ही उस सत्पुरुष का साक्षात्कार अनुभव कर लेते हैं ।
आरा में विहंगम योग के माध्यम से आत्मा के ज्ञान और ध्यान साधना पर जोर | Read More
धरना व्यवसायियों के हितों की रक्षा और उनके अधिकारों की आवाज बुलंद करने की दिशा में एक अहम कदम साबित… Read More
सहारा भुगतान सम्मेलन की तैयारी में जुटे नेता, पटना में 5 जनवरी को होगा बड़ा आयोजन Read More
हाईवे पर गैस टैंकर हादसा Read More
भोजपुरी को राजभाषा दर्जा देने की अपील Read More
17 जनवरी को जिला मुख्यालयों पर धरना, 15 मार्च से राज्यव्यापी सदस्यता अभियान शुरू होगा Read More