” मैं बाग़ की नन्ही कलियों में सवेरा निशदिन ढूंढ कर लाई |
सूरज की चंचल नव किरणों संग आशा की ओढ़नी ओढ़ कर आई
नीला अम्बर वतन मेरा शाखों की बस्ती में हर हाल में मुस्काई
सुन्दरतम है तेरी महिमा मैं चिड़िया बन जग में फिरि फिरि आई”|||
{अभिलाषा }