भाकपा (माले) और इंसाफ मंच का आरोप: पुलिस की निष्क्रियता से बढ़ा दर्द |
आरा/भोजपुर | हनुमान टोला में महादलित (पासी) समुदाय की बच्ची के साथ हुए जघन्य बलात्कार और हत्या के मामले ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। इस अमानवीय घटना की जानकारी मिलते ही भाकपा (माले) और इंसाफ मंच की टीम तुरंत घटना स्थल पर पहुंची और पूरे मामले का जायजा लिया।
फांसी की सजा और एसपीडी ट्रायल की मांग
भाकपा (माले) राज्य कमिटी सदस्य और इंसाफ मंच के राज्य सचिव क्यामुद्दीन अंसारी ने पुलिस प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में दोषी के खिलाफ एसपीडी ट्रायल चलाकर फांसी की सजा दी जाए। उन्होंने इस घटना को समाज के लिए कलंक बताते हुए कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया।
पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप
क्यामुद्दीन अंसारी ने पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस की लापरवाही के कारण पीड़िता के परिवार को कड़ाके की ठंड में रातभर सदर अस्पताल में ठिठुरने के लिए छोड़ दिया गया। इसके बावजूद, रात में पोस्टमार्टम कराने का प्रयास नहीं किया गया।
सरकारी सहायता और मुआवजे की मांग
भाकपा (माले) नेता ने कहा कि पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।
सड़क पर उतरे लोग, जताया आक्रोश
इस घटना के खिलाफ स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। इंसाफ मंच ने बताया कि लोगों ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया और प्रशासन की निष्क्रियता पर कड़ा विरोध जताया।
टीम ने की घटनास्थल की जांच
इस दौरान भाकपा (माले) और इंसाफ मंच की टीम में क्यामुद्दीन अंसारी, नगर सचिव सुधीर कुमार सिंह, अधिवक्ता सुभाष यादव, माले नेता राजेंद्र यादव, मोहम्मद रंजन उर्फ फैज, इनौस नेता हिम्मत यादव, आइसा नेता विकास कुमार, भाकपा (माले) जिला कमिटी सदस्य और अधिवक्ता अमित कुमार बंटी शामिल थे।
सुझाव (CMD Gautam Anubhavi ) : – यह घटना अत्यंत निंदनीय और पीड़ादायक है। एक नाबालिग महादलित बच्ची के साथ हुए इस जघन्य अपराध ने समाज और मानवता को झकझोर कर रख दिया है।
क्यामुद्दीन अंसारी और उनकी टीम द्वारा उठाए गए कदम सराहनीय हैं। इस मामले में निम्नलिखित मांगों पर ध्यान देना अत्यंत महत्वपूर्ण है:
एस.पी.डी. ट्रायल के माध्यम से त्वरित न्याय: बलात्कार और हत्या के इस मामले में त्वरित न्याय सुनिश्चित करना आवश्यक है। दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने से समाज में एक कड़ा संदेश जाएगा।
पुलिस प्रशासन की जवाबदेही: पुलिस की निष्क्रियता और लापरवाही की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं में लापरवाही न हो।
पीड़ित परिवार को मुआवजा और नौकरी: पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता और एक सरकारी नौकरी देकर उनकी मदद की जाए।
प्रभावी कानून व्यवस्था: ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन को सतर्क रहना चाहिए।
इस घटना के खिलाफ लोगों का प्रदर्शन यह दिखाता है कि समाज में इस प्रकार के अपराधों के प्रति गुस्सा और असंतोष बढ़ रहा है। सभी सामाजिक संगठनों और सरकार को मिलकर काम करना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।